हमीरपुर। सरकार के विवेक का कमाल देखिए कि अब सरकारी स्कूलों के छात्रों को दाखिले के लिए वहां आने का फरमान भेजा गया है, जहां खुद सरकार ने कोरोना के संदिग्ध क्वारंटाइन किए हैं।
जी हां, यह फरमान सरकारी स्कूल में आम जनता के पढऩे वाले छात्रों को सुनाया गया है। यह टिप्पणी राज्य कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने सरकार के फैसले पर की है।
राणा ने कहा कि या तो सरकार महामारी की विभीषिका से अनजान है या फिर विश्वव्यापी महामारी की घातकता नहीं समझ पा रही है, या फिर सरकार अफसरशाही की कठपुतली बनकर पूरी तरह उनके फैसलों पर निर्भर हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में अधिकांश स्कूलों में कोरोना के संदिग्धों को क्वारंटाइन किया गया है। ऐसे में उसी कैंपस में छात्रों को दाखिले के लिए बुलाना कहां तक उचित है? यह तो सरकार ही जानें। लेकिन ईश्वर न करे कि इन क्वारंटाइन सेंटरों में क्वारंटाइन किए गए संदिग्धों में से कोई कोरोना पॉजीटिव हो तो ऐसे में अबोध स्कूली छात्र नाहक ही महामारी की चपेट में आ सकते हैं।
राणा ने कहा कि अब तक स्कूली छात्रों की पढ़ाई जब ऑनलाइन हो रही है तो दाखिला ऑनलाइन क्यों नहीं हो सकता है? सरकारी स्कूलों में नामात्र की फीस रहती है, तो ऐसे में बेहतर होता कि सरकार छात्रों व अभिभावकों से दाखिले का आवेदन पत्र मंगवाकर उनकी फीस व अन्य शुल्क ले लेती और दाखिला ऑनलाइन हो जाता।
राणा बोले कि प्राइवेट स्कूलों की बात अलग है, क्योंकि वहां पर हजारों की फीस होती है। लेकिन सरकारी स्कूलों में छात्रों को दााखिले और फीस के लिए बुलाने की कोई मजबूरी नहीं थी लेकिन सरकार ने फिर भी बिना सोचे समझे यह फैसला लेकर अबोध छात्रों को महामारी के खतरे के मुंह में धकेल दिया।