शिमला। प्रधान सचिव परिवहन के के पंत ने कहा कि 18 जनवरी से 17 फरवरी राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह सप्ताह मनाया जाएगा। इस दौरान प्रदेश में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को सड़क सुरक्षा सम्बन्धी जानकारी दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि राज्य स्तरीय कार्यक्रम 18 जनवरी को रिज मैदान पर आयोजित किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर करेंगे। इस कार्यक्रम के दौरान सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित विभिन्न जागरूकता गतिविधियां आयोजित करने के साथ-साथ साईकल रैली व गुड स्मार्टियन झांकियां रवाना की जाएंगी। जिला स्तर पर भी सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
के के पंत ने कहा कि 19 और 20 जनवरी को पैदल चलने वालों, वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों, विशेष रूप से सक्षम लोगों की सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान आयोजित किया जाएगा।
21 से 23 जनवरी तक तेज रफ्तार के बुरे प्रभाव, गुड स्मार्टियन के बारे में जागरूकता तथा सड़क सुरक्षा पर कार्यशाला, 27 व 28 जनवरी को हेलमेट पहनने के महत्व बारे अभियान, 29 जनवरी को वाहन चालकों को प्रेरित करने के लिए रोज डे मनाया जाएगा।
30 जनवरी व 1 फरवरी को सीट बेल्ट लगाने के महत्व बारे अभियान, 2 व 3 फरवरी को वाहन चालकों के लिए नेत्र जाॅंच शिविर, 4 से 6 फरवरी रैश ड्राइविंग के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता, 8 से 10 फरवरी तक शराब का सेवन कर गाड़ी चलाने व ओवर लोडिंग के दुष्परिणामों बारे जागरूकता व टैªफिक नियमों के अनुपालन के प्रति प्रेरित करने के लिए हस्ताक्षर अभियान, 11 फरवरी को स्थानीय निकायों के साथ सड़क सुरक्षा उपायों बारे बैठकों का आयोजन और 12 से 17 फरवरी तक शून्य सहिष्णुता सप्ताह का आयोजन किया जाएगा।
प्रधान सचिव ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुसार दुर्घटना की स्थिति में सहायता करने वाले लोगों यानि गुड स्मार्टियन को किसी भी तरह की कानूनी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। कोई भी राहगीर या चश्मदीद, जो दुर्घटना में शामिल व्यक्ति की सहायता करता है, उसको कानूनी रूप से कोई परेशानी न हो, इसके लिए पुलिस या कोई और उसकी पहचान बताने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।
उन्हें अस्पताल में नहीं रोक सकते, पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन नहीं ले जा सकते, उन्हें कोर्ट में गवाही के लिए नहीं बुला सकते और समन भी नहीं भेज सकते। उन्होंने कहा कि गुड स्मार्टियन की भागीदारी से सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आएगी।