दिल्ली। “Anything But Sugar” के संस्थापक वेद पोहोजा का मिशन है, चीन और चीनी दोनों देश के लिए घातक है।
चीनी स्वाद में मीठी होती है लेकिन इस का असर काफी कड़वा होता है। चीनी हानिकारक रसायनों से भरी होती है जो आपके स्वास्थ के लिए हानिकारक होते हैं।
यह आपकी आंखों से लेकर, आपके दिल तक किसी भी अंग पर अपना दुष्प्रभाव छोड़ सकती है। यदि आप को मधुमेह है तो पहली चीज़ जो डॉक्टर कहेगा वह यह की आप मीठी चीज़ो से परहेज़ करें।
परन्तु मिठाई इतनी बुरी चीज़ नहीं है जितनी उस में मिठास के लिए डाली जाने वाली सफ़ेद चीनी, जो बनी गन्ने के रस से ही है मगर हानिकारक रसायनों से परिष्कृत की जाती है, जो एक धीमे ज़हर के अलावा कुछ नहीं है।
मगर क्या हम को मिठाई खाना छोड़ना होगा अगर स्वस्थ रहना है तो ? बिलकुल नहीं। भारत में मिठाईयां दो हज़ार सालों से अधिक समय से बन रही हैं जब की भारत में पहली चीनी का कारखाना बिहार में 1860 में लगा था।
पारम्परिक तौर पर भारत में मिठास के लिए गुड़ का प्रयोग होता आया है जो स्वस्थ के लिए अच्छा है और आपकी जेब के लिए भी।
इस में सभी खनिज मौजूद होते हैं और कोई हानिकारक रसायन का भी प्रयोग नहीं होता। चीनी के स्थान पर गुड़ और अन्य प्राकर्तिक मिठास देने वाले पदार्थ जैसे मेपल सिरप, गुड़, खजूर आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
वेद पोहोजा और उन के दो सहयोगियों ने “Anything But Sugar” की शुरुआत की है।
जैसा की नाम से ही विदित है वह मिठाई और केक पेस्ट्री, चॉक्लेट बिना चीनी का प्रयोग कर बना रहे हैं।
वेद कहते हैं ” यह एक अनूठा प्रयोग है, हम मिठाई विशुद्ध पारम्परिक तरीके से बना रहे हैं और लोग इस को खूब पसंद कर रहे है. वक्त आ गया है की हम चीनियों के साथ चीनी को भी देश से बहार खदेड़ दें।
“anything but sugar” या ABS ने एक Experience store दिल्ली में शरू किया है जिस में ना केवल प्राकृतिक मिठास वाली मिठाईयां उपलब्ध हैं बल्कि आगंतुकों को उस के बारे में जानकारी भी दी जाती है।
तो आखिर वेद को इन मिठाइयों बनाने को विचार आया कैसे। वेद बताते हैं “मुझे मिठाईया पसंद हैं मगर उन के सेवन से मेरे स्वास्थ्य पर असर पड़ने लगा।
मुझे लगा अब मिठाइयों को अलविदा कहने का वक़्त आ चुका है। मैने अपने दोस्तों के बी शर्मा और प्रमोद सिंगला के साथ बिना चीनी के मिठाइयों को बनाने पर रिसर्च करना शुरू किया।
चीनी पर युद्ध छेड़ने के लिए ABS का उद्देश्य चीनी के बुरे प्रभावों और विकल्पों को अपनाने में जागरूकता पैदा करना है। चीनी शरीर के प्रतिरक्षा में हस्तक्षेप करती है।
शोध से पता चला है कि चीनी का अत्याधिक उपयोग रोग के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दबा देता है। यह मानव शरीर में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी तेज करता है। दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी शुगर के अन्य प्रतिकूल प्रभाव हैं।
यह बच्चों में संज्ञानात्मक क्षमता को प्रभावित कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप उनमें व्यवहार परिवर्तन हो सकता है।