किसान संगठनों के देशव्यापी आह्वान पर हिमाचल किसान सभा, सीटू, जनवादी महिला समिति, डीवाईएफआई, एसएफआई, दलित शोषण मुक्ति मंच ने तीन किसान विरोधी कानूनों व बिजली संशोधन विधेयक 2020 को लेकर हिमाचल प्रदेश के गांव, ब्लॉक व जिला मुख्यालयों में धरने प्रदर्शन किये। इस दौरान प्रदेश भर में हज़ारों लोग प्रदर्शनों में शामिल हुए।
हिमाचल किसान सभा प्रदेशाध्यक्ष डॉ कुलदीप तंवर, महासचिव डॉ ओंकार शाद, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, महिला समिति प्रदेशाध्यक्ष डॉ रीना सिंह, सचिव फालमा चौहान, डीवाईएफआई प्रदेशाध्यक्ष अनिल मनकोटिया, सचिव चन्द्रकान्त वर्मा, एसएफआई प्रदेशाध्यक्ष रमन थारटा, सचिव अमित ठाकुर,दलित शोषण मुक्ति मंच संयोजक जगत राम, सह संयोजक आशीष कुमार, ऑल इंडिया लॉयरज़ यूनियन प्रदेशाध्यक्ष पुनीत धांटा व सचिव अशोक वर्मा ने कहा है कि किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदेश भर में जनता का भरपूर समर्थन मिला व हज़ारों लोग आंदोलन में शामिल हुए।
ये प्रदर्शन शिमला, रामपुर, रोहड़ू, ठियोग, निरमण्ड, करसोग,सोलन,परवाणु,दाड़लाघाट,नाहन,पौंटा साहिब, मंडी, सरकाघाट, जोगिन्दरनगर, जंजैहली, कुल्लू, आनी, सैंज, चम्बा, चुवाड़ी, धर्मशाला, पालमपुर, हमीरपुर,ऊना में किए गए।
उन्होंने ऐलान किया कि अगर केंद्र सरकार ने काले किसान कानूनों व बिजली विधेयक 2020 को रद्द न किया तो हिमाचल की जनता भी दिल्ली कूच करेगी।
उन्होंने जनता से अम्बानी व अडानी के उत्पादों का पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की है ताकि इन नैगमिक घरानों की इज़ारेदारी व किसानों को तबाह करने की नीति पर रोक लगाई जा सके।
उन्होंने कहा कि मोदी की भाजपा सरकार पूंजीपतियों व नैगमिक घरानों के साथ है व उनकी मुनाफाखोरी को बढ़ाना चाहती है। केंद्र सरकार किसान विरोधी नीतियां लाकर किसानों को कुचलना चाहती है।
मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानून पूर्णतः किसान विरोधी हैं। इसके कारण किसानों की फसलों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए विदेशी और देशी कंपनियों और बड़ी पूंजीपतियों के हवाले करने की साज़िश रची जा रही है।