हमीरपुर, 07 मई, 2020। सुजानपुर के विधायक व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा ने इस बात पर हैरानी जाहिर की है कि कोरोना महामारी के इस दौर में अपनी जान को जोखिम में डाल कर फ्रंट फुट पर सेवाएं देने वाले डॉक्टरों स्वास्थ्य कर्मियों व पुलिसकर्मियों की पीठ थपथपाने के बजाए, एक नई रिवायत कायम करते हुए मुख्यमंत्री उन अधिकारियों को शाबाशी दे रहे हैं जिनकी बदौलत हिमाचल भवन चंडीगढ़ में पिछले दिनों अव्यवस्था का आलम देखने को मिला।
उन्होंने कहा कि अव्यवस्था के लिए इन अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की बजाय मुख्यमंत्री इन अधिकारियों को पत्र लिखकर शाबाशी दे रहे हैं जिससे सरकार की दशा व दिशा का साफ पता चलता है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि करोना से आईजीएमसी शिमला में सरकाघाट निवासी नौजवान की मौत के बाद जिस तरह आधी रात को मिट्टी के तेल के साथ उसके दाह संस्कार के समय मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया गया, उससे प्रदेशवासियों की रूह कांप गई है और सरकार की संवेदनहीनता से हर हिमाचलवासी खुद को शर्मसार महसूस कर रहा है।
उन्होंने कहा एक महिला अधिकारी आधी रात को भी श्मशान घाट में अपने कर्तव्य पालन के लिए डटी रही, लेकिन सरकार ने उसकी शान में, उसकी पीठ थपथपाने के लिए कोई पत्र नहीं लिखा।
उन्होंने कहा मरने वाला युवक मुख्यमंत्री के गृह जिले का था लेकिन इसके बावजूद हिमाचल के इस बेटे के शव के साथ जो अमानवीय व्यवहार हुआ उससे सरकार व अधिकारियों का संवेदनहीन चेहरा सामने आ गया है।
उन्होंने इस बात पर हैरानी जाहिर की है कि कोरोना संक्रमित युवक का 5 मई की शाम को आईजीएमसी में निधन हो गया था लेकिन सरकार उसके अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों का इंतजाम नहीं कर सकी और रीति-रिवाजों को ताक पर रखकर आधी रात को दो किस्तों में मिट्टी का तेल लाकर युवक का अमानवीय व असभ्य तरीके से संस्कार किया गया।
उन्होंने कहा प्रदेश में कोरोना से अभी तक 2 मौतें हुई है लेकिन सरकार के आपदा प्रबंधन और संवेदनाओं की कई कलई खुल गई है।