भ्रष्टाचार को प्रदेश में मिल रहा है सरकार का खुला संरक्षण : राणा

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हमीरपुर। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का शगुफा छोड़कर सत्ता हासिल करने वाली बीजेपी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है। सरकार व विभागों पर भ्रष्टाचारियों का बोलबाला है।

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की दुहाई देने वाली सरकार अब प्रदेश में बदस्तूर चले भ्रष्टाचार पर पूरी तरह मौन और मूक है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है।

राणा ने कहा कि आम आदमी छोटे-छोटे कामों को करवाने के लिए रोज घूसखोरी का शिकार हो रहा है। विकास कार्य बंद हैं। ऐसे में आम आदमी का जीना दुश्वार हो रहा है। मामला एनआईटी हमीरपुर में हुए भर्ती भ्रष्टाचार का हो या फर्जी डिग्रियों की सेल लगाने वाली मानव भारती यूनिवर्सिटी का हो, या फिर आईआईएम नाहन का हो, या फिर स्वास्थ्य विभाग में बेखौफ चल रहे भ्रष्टाचार का हो।

भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में नाकाम सरकार उल्टा भ्रष्टाचार को संरक्षण देने में लगी है। अगर ऐसा नहीं है तो सरकार आगे बढ़कर बड़े भ्रष्टाचार के मामलों पर सीबीआई की जांच से क्यों कतरा रही है।

राणा ने कहा कि सरकार द्वारा सीबीआई की जांच की मांग ने करने का एक ही कारण समझ आता है कि सरकार के अपने लोग इस भ्रष्टाचार में संलिप्त व शुमार हैं। जिस कारण से सरकार ने रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है और जब विपक्ष प्रदेश के हितों की पैरवी करता हुआ इन मामलों को उठा रहा है, तो सरकार का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच रहा है, जो कि यह बताने के लिए काफी है कि सरकार नहीं चाहती है प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगे, जिसका नतीजा यह हुआ है कि अब प्रदेश में चहुं ओर भ्रष्टाचार और घूस खोरी का बोल बाला है, जो कि रोज सूचनाओं और समाचार पत्रों की सुर्खियां बटोर रहा है।

राणा ने कहा कि जनता अब समझ चुकी है कि सत्ता के लिए बीजेपी बड़े से बड़ा झूठ बोलकर लोगों को ठग सकती है, छल सकती है। अगर ऐसा न होता तो सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में मौनी बाबा की मुद्रा में न होती।

विपक्ष में रहते हुए बात-बात पर आसमान सिर पर उठाने वाली बीजेपी को अब सत्ता हासिल करने के बाद प्रदेश में व्यापक भ्रष्टाचार नजर ही नहीं आ रहा है या यूं कहें कि सरकार भ्रष्टाचारियों की प्रत्यक्ष व परोक्ष में पैरवी कर रही है।

इस गुनाह के लिए प्रदेश सरकार को कभी माफ नहीं करेगा। हैरानी यह है कि प्रदेश की बागडोर संभालने को बेकरार केंद्र में बैठे हिमाचल के नेता भी भ्रष्टाचार के मामले पर पूरी तरह खामोश हैं।

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