राम शिलान्यास समारोह में राम के नाम पर हावी राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण : राणा

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हमीरपुर। सब के हैं राम और सब में हैं राम, लेकिन सर्वोच्च आस्था के प्रतीक राम का प्रयोग न केवल उनकी बताई मर्यादाओं के खिलाफ है, बल्कि अनेकों धर्मों में आस्था रखने वाले इस देश की संस्कृति और सभ्यता के भी विपरीत है।

यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। सत्तासीन पार्टी के नेता जिस तरह अब राम को भी पेटेंट करके राम से बड़ी अपनी राजनीति को करना चाह रहे हैं। यह राम द्वारा स्थापित की गई मर्यादाओं के विपरीत है। राम के समकक्ष राजनीति को खड़ा करना या राम के नाम पर राजनीति करना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।

राम मंदिर की आधारशिला समारोह में जिस तरह से कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया हाउसिज ने राम से ज्यादा राजनीति की जय-जयकार की है। वह इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया की भूमिका पर भी सवाल खड़ा कर रही है।

पार्टी विशेष की जय-जयकार करके देश की जनता को गुमराह करने का मुगालता पाले लोग इस भूल में न रहें कि उनके स्वार्थपूर्ण तर्कों व प्रचार का जनता पर कोई असर होता है, क्योंकि जनता सब जानती, समझती है।

राणा ने कहा कि जनता भूली नहीं है कि राम रथ यात्रा के दौरान हजारों लोग हिंसा का शिकार हुए थे, लेकिन अब अहिंसा व महात्मा गांधी से तुलना करके इस मुद्दे का बीजेपी राजनीतिकरण करने का असफल प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि अब इलेक्ट्रॉनिक युग में कब किसने क्या कहा था यह बयान आज के दौर में ढूंढने मुश्किल नहीं है। इन बयानों से बीजेपी की करनी व कथनी का अंतर साफ पता चलता है। राणा ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने राम का नाम एकता लाने के लिए प्रयोग किया था, लेकिन आज बीजेपी के प्रवक्ता हफ्तों से इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया में राम के नाम पर नफरत का जहर फैलाने में लगे हैं जो देश और समाज के लिए घातक है।

बीजेपी के प्रवक्ता व कुछ चैनलों के संचालक समाज की मानसिक स्थिति पर हमला करने का प्रयास कर रहे हैं, जो कि गलत है। राम का धर्म सबको जोडऩे वाला, सबको ऊपर उठाने वाला, सबकी उन्नति करवाने वाला, सबको अपना मानने वाला धर्म है।

मतलब जब राम मंदिर का निर्माण हो रहा है तो समाज के किसी भी वर्ग के मन में कड़वाहट हरगिज नहीं होनी चाहिए। हृदय के मतभेदों को तिलांजली देने के बाद ही राम पर की जा रही राजनीति सार्थक होगी।

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