डॉ अंबेडकर संविधान के संरक्षक रहे, जबकि कांग्रेस संविधान की भक्षक : नंदा

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शिमला। भाजपा प्रदेश महामंत्री बिहारी लाल शर्मा एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में सुबह 11 बजे ग्राम पंचायत ब्लॉग, 2 बजे ग्राम पंचायत दरभोग और शाम 4 बजे ग्राम पंचायत दहना में डॉ भीमराव अंबेडकर सम्मान अभियान के अंतर्गत घर घर संपर्क योजना चलाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष राहुल ठाकुर द्वारा की गई।

भाजपा प्रदेश महामंत्री बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा डॉ अंबेडकर को राजनीति से बाहर रखने का प्रयास किया। डॉ अंबेडकर को संविधान सभा चुनाव में कांग्रेस के विरोध के कारण हार का सामना करना पड़ा, जिसकी अगुवाई बॉम्बे के प्रीमियर बी जी खरे ने की।

बंगाल से जोगेन्द्र नाथ मंडल के समर्थन से वे चुने गए, लेकिन कांग्रेस द्वारा बारीसाल, जेसोर-खुलना और फरिदपुर जैसे क्षेत्र पाकिस्तान को सौंप दिए जाने के बाद उन्हें पुनः चुनाव लड़ना पड़ा।

हिन्दू महासभा नेता एम आर जयकर ने पुणे सीट खाली की, जिससे डॉ अंबेडकर संविधान निर्माण में पुनः अपनी भूमिका निभा सके। पंडित नेहरू ने एडविना माउंटबेटन को लिखे एक पत्र में यह गर्व से बताया था कि उन्होंने कैसे डॉ. अंबेडकर को संसद में चुने जाने से रोकने में भूमिका निभाई।

कार्यक्रम के दौरान भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा कि कांग्रेस ने डा भीमराव अंबेडकर का हमेशा अपमान किया। अंबेडकर संविधान के संरक्षक रहे, जबकि कांग्रेस संविधान की भक्षक बन गई।

अंबेडकर समानता लाना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने वोट बैंक का वायरस फैलाया। वोट बैंक को खुश करने के लिए वक्फ कानून को संविधान से ऊपर कर दिया।

वक्फ के नाम पर लाखों हेक्टेयर भूमि का ईमानदारी से प्रयोग होता तो मुस्लिम समाज के युवाओं को पंक्चर नहीं बनाना पड़ता।

कांग्रेस को अगर मुस्लिमों से इतना ही प्रेम है तो किसी मुसलमान को पार्टी अध्यक्ष बनाए। संसद में टिकट देते हैं तो 50 प्रतिशत मुसलमानों को दें।

नंदा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को अंबेडकर की तभी याद आती है जब उनको वोट चाहिए होता है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को कहा कि भीमराव अंबेडकर के सम्मान में कांग्रेस ने जो-जो कार्य किए, वह जनता के समक्ष रखें।

सवाल तो कांग्रेस के नेताओं से यह बनता है कि अंबेडकर का अपमान उन्होंने कितनी बार किया और अपने समय रहते अंबेडकर को सम्मान क्यों नहीं दिया ? अगर यह सवाल कांग्रेस नेताओं के सामने रखा जाए तो वह मौन हो जाते हैं।

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