ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में हिमाचल प्रदेश अग्रणी राज्यों में शुमार, मुख्यमंत्री ने प्रथम ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना की रखी आधारशिला

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शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज जिला सोलन की नालागढ़ तहसील के दभोटा में उत्तर भारत के पहले एक मेगावाट क्षमता के ग्रीन हाईड्रोजन संयंत्र की आधारशिला रखी।

उन्होंने कहा कि 9.04 करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को हिमाचल प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा ऑयल इंडिया लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान से विकसित किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों को एक वर्ष की समयावधि के भीतर इस परियोजना को पूरा करने के निर्देश दिए।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश को मार्च, 2026 तक देश के प्रथम हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि दभोटा हरित ऊर्जा संयंत्र प्रदेश की नवीकरणीय ऊर्जा की सतत यात्रा में मील पत्थर साबित होगा।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के प्रयासों से यह नवाचार पहल अक्षय और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हिमाचल को अग्रणी रूप से स्थापित करेगी।

हरित ऊर्जा राज्य की परिकल्पना को साकार करते हुए प्रदेश सरकार ने 26 अप्रैल, 2023 को आयल इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया है जिसके तहत सौर ऊर्जा, जियो थर्मल ऊर्जा और कम्प्रेस्ड बायो गैस के विकास की दिशा में कार्य किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस संयंत्र के लिए विस्तृत आकलन के बाद दभोटा में 4 हजार वर्ग मीटर की भूमि का चयन किया गया है। राज्य की विस्तृत कार्य योजना के तहत हरित हाइड्रोजन पहल के रूप में यह परियोजना स्थाई ऊर्जा समाधान के लिए सरकार प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।

यह संयंत्र इलेक्ट्रोलाइट के रूप में क्षारीय पोटाशियम हाइड्रोक्साइड घोल का उपयोग कर इलेक्ट्रोलाइसिस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग से हाइड्रोजन का उत्पादन सुनिश्चित करेगा।

इस विधि से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी और स्वच्छ ऊर्जा पारिस्थितिकीय तंत्र का निर्माण होगा।

उन्होंने कहा कि इस संयंत्र की प्रतिदिन 423 किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की क्षमता है जिसके लिए प्रति किलोग्राम हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए 13 लीटर पानी की आवश्यकता होगी। भूमिगत जल के रूप में ट्यूबवेल के माध्यम से पानी की आवश्यकता को पूरा किया जाएगा।

उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान प्रति किलोग्राम हाइड्रोजन के लिए लगभग 52.01 यूनिट बिजली की खपत होगी। संयंत्र द्वारा वार्षिक 1,54,395 किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादित होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 500 मेगावाट सौर ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में प्रगतिशील है।

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