शिमला। भाजपा के पूर्व मंत्री एवं विधायक सुखराम चौधरी ने कहा कि कांग्रेस सरकार के मीडिया सलाहकार अपनी फ्लॉप सरकार को बचाने का असफल प्रयास कर रहे है।
कांग्रेस पार्टी के नेता खजाना खाली होने का नाटक कर रहे हैं जबकि केंद्र सरकार से प्रदेश को बड़ी मात्रा में पैसा लगातार आ रहा है, पर आर्थिक कुप्रबंधन के कारण हिमाचल सरकार अपनी आमदनी को बचा नहीं पा रही है।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज व अस्पताल में बीते 20 दिन पहले 132 ट्रामा भर्ती के आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा अस्पताल परिसर में नौकरी से निकालने के मामले पर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है।
इसके बाद उन्हें 6 महीने के शॉर्ट टर्म टेंडर के अंतर्गत वापस लेने का निर्णय लिया गया था, जिसके लिए अभी फिलहाल टेंडर नहीं हुआ है। यह प्रदेश सरकार की गलती है।
इसी प्रकार इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज व अस्पताल के सरकारी लैब में विभिन्न विभागों के टेस्ट, जिसमें थायराइड, शुगर टेस्ट, टीपीओ, एचबीए सी टेस्ट, अभी भी नहीं हो रहे हैं और मरीजों को मजबूरन क्रस्ना लैब के बाहर कतारों में खड़ा होना पड़ता है।
चौधरी ने कहा कि प्रदेश में बजट में वेतन देने के लिए 13,600 करोड़ रुपए और पैंशन के लिए 10,800 करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान करना होगा। इसके अलावा उपदानों पर 6,800 करोड़ रुपए की आवश्यकता रहेगी।
इसकी योजना तो प्रदेश सरकार को ही बनानी पड़ेगी, पर योजना बनाने से ज्यादा प्रदेश सरकार का ध्यान केवल अपने मित्रों, मंत्रियों एवं अध्यक्षों के खर्चे पूरा करने पर है। बड़ी जल्दी यह सरकार एक लाख करोड़ कर्ज लेने वाली सरकार कहलाएगी। यह कांग्रेस की सरकार सबसे तेज गति से कर्ज लेने वाली सरकार है।
उन्होंने कहा कि कैम्पा फंड के अंतर्गत हिमाचल को इस वर्ष दो किश्तों में 746.84 करोड़ केंद्र सरकार से प्राप्त हुए हैं। राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि के तहत 90 करोड़, एनडीआरएफ में 85.17 करोड़, एसडीआरएफ में 378.40 करोड़ प्राप्त हुए हैं।
प्रदेश में चुनावों के संचालन के लिए 100 करोड़, ग्रामीण स्थानीय निकाय अनुदान के लिए 422.74 करोड़, एनएचएम के तहत 269.76 करोड़ और स्वास्थ्य अनुदान के लिए 6 करोड़ से अधिक की राशि मिली है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 3500 करोड़ से अधिक को राशि सरकार को प्राप्त हुई है। इन सभी योजनाओं के माध्यम से हिमाचल को केंद्र से मिली मदद को कम नहीं आंका जा सकता।
वह अलग बात है कि यह कांग्रेस की सरकार केंद्र की इस बड़ी मदद को स्वीकार नहीं करना चाहती।