भाजपा सरकार के कार्यकाल में कई निर्णय नौकरशाही व केंद्र के दबाव में गए लिए : हरि कृष्ण हिमराल

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शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव और हिमाचल प्रदेश सहकारी बैंक के निदेशक हरि कृष्ण हिमराल ने सुक्खू सरकार के ‘सरकार गांव के द्वार’ अभियान की सराहना की, जिसकी शुरुआत बीते रोज मुख्यमंत्री के शिमला जिले के दूरवर्ती क्षेत्र डोडरा और क्वार के सुदूरवर्ती गांव में ठहरने से हुई।

ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के लोगों की जमीनी हकीकत और समस्याओं पर बारीकी से नजर रखने के लिए किसी गांव में रात भर रुकने वाले पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं।

डोडरा क्वार को कभी हिमाचल प्रदेश का काला पानी कहा जाता था, क्योंकि इसकी पहुंच नहीं थी और सुखू सरकार की यह पहल कि सरकारी अधिकारियों को दूरदराज के क्षेत्रों में भेजा जाए, ताकि आम आदमी के दैनिक जीवन में आने वाली कठिनाइयों का प्रत्यक्ष ज्ञान हो सके, काफी सराहनीय है और हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर, विकसित बनाने तथा गरीब और दबे-कुचले लोगों की जीवन शैली में सुधार लाने के लिए हमारी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यह ठाकुर सुखविंदर सिंह सुखू की दूरदर्शिता और गरीब लोगों के जीवन शैली में सुधार लाकर उनके उत्थान तथा सरकारी मशीनरी को एसी रूम से निकालकर राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों में ले जाने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इससे पहले उन्होंने स्पीति घाटी में राज्यत्व दिवस मनाया था, जो हिमाचल प्रदेश का एक और दूरदराज का क्षेत्र है।

यह मुख्यमंत्री के संकल्प को दर्शाता है, जो स्वयं एक आम परिवार से आते हैं और इसलिए एक आम आदमी के दैनिक जीवन में आने वाली समस्याओं को अच्छी तरह से जानते हैं।

हिमराल ने पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर पर राज्य की कांग्रेस सरकार को पलटू सरकार कहने के लिए भी हमला बोला तथा उन्हें याद दिलाया कि तत्कालीन भाजपा सरकार के दौरान उन्होंने अपने कार्यकाल में कई निर्णय नौकरशाही व केंद्र के दबाव में लिए थे।

यहां तक कि जय राम ठाकुर को पलटू राम के नाम से भी जाना जाता था, क्योंकि उन्होंने कई बार अपने ही निर्णय वापस लिए थे, जबकि उनकी तुलना में ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नौकरशाही या अन्य किसी दबाव में आए बिना प्रदेश के हित में तथा प्रदेश की अर्थव्यवस्था की गतिशीलता को ध्यान में रखते हुए साहसिक व मजबूत कदम उठाए हैं।

हिमाचल प्रदेश के आम लोगों के मुख्यमंत्री ने तमाम प्राकृतिक, राजनीतिक व वित्तीय संकटों के बावजूद राज्य के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उनके समग्र विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनकी दूरदर्शिता व साहसिक निर्णयों में देखी जा सकती है, जिसका लाभ जल्द ही राज्य के खजाने को मिलेगा।

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