शिमला 10 जून, 2020 । कोरोना संकट के चलते किसानों को नकदी फसलों के उचित दाम न मिलने पर शिमला जिला में किसानों का रूझान पारंपरिक फसलों की ओर बढ़ने लगा है और इस वर्ष जिला में किसानों द्वारा मक्की की रिकार्ड बिजाई की गई है ताकि वर्ष भर का अन्न खरीदने की नौबत न आए।
कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष जिला में के किसानों को मक्की का 300 क्विन्टल उन्नत किस्म का बीज उपदान पर उपलब्ध करवाया गया है जिसमें मक्की की प्रमुखतः किस्म बी-52, 5992, के-25 गोल्ड और बायो-9220 शामिल है, जिसकी पुष्टि उप निदेशक कृषि शिमला डॉ मोहिन्द्र भवानी ने की है।
उन्होंने बताया कि किसानों को मक्की का बीज 45 रूपये प्रति किलोग्राम उपदान पर उपलब्ध करवाया गया है तथा जिला में करीब 70 प्रतिशत से अधिक किसानों द्वारा मक्की की बिजाई पूर्ण कर ली गई है ।
उन्होंने बताया कि जिला में इस वर्ष करीब 35 हजार क्विन्टल मक्की के उत्पादन की उमीद है जोकि पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है ।
बता दें कि सोलन के बाद शिमला जिला के निचले क्षेत्रों में बेमौसमी सब्जियों का सर्वाधिक उत्पादन होता है परंतु लॉकडाउन के चलते इस वर्ष किसानों को मटर और गोभी के उचित दाम नहीं मिल पाए।
यही नहीं विपणन की व्यवस्था न होने के कारण फूल भी खेतों में ही सड़ गए और निकट भविष्य में भी किसानों को टमाटर, शिमला मिर्च, फ्रासबीन इत्यादि सब्जियों के उचित दाम मिलने की भी उम्मीद नहीं है ।
पिछले काफी वर्षों से इस क्षेत्र में पांरपरिक फसलों की जगह बेमौसमी सब्जियों का प्रचलन काफी हो गया था और किसानों द्वारा पारंपरिक फसलें उगानी बंद कर दी गई थी।
डॉ मोहिन्द्र ने बताया कि शिमला जिला में 12319 हैक्टेयर भूमि पर 120485 मिट्रिक टन खरीफ फसलों का उत्पादन होता है जिसमें सर्वाधिक मक्की की फसल शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा किसानों को शिमला मिर्च, खीरा, घीया, बीन, टमाटर, पशुओं के लिए चारा के बीज के अतिरिक्त पॉवर, टिल्लर, स्प्रे पंप, चारा काटने की मशीन, पानी के टब इत्यादि कृषि उपकरण भी किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए गए।