21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए शिक्षा नीति बनाने की आवश्यकता : सुरेश भारद्वाज

Spread with love

शिमला। देश में संस्कार, आचार और व्यवहार की प्रबलता तथा परिपालन के साथ सकारात्मक बदलाव के लिए नई शिक्षा नीति अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विचार शहरी विकास, आवास, नगर नियोजन, संसदीय कार्य, विधि एवं सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज राजकीय कन्या महाविद्यालय आरकेएमवी में आयोजित छात्र संवाद में छात्रों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी भारत की सदी बनकर उभरे इसके लिए शिक्षा नीति बनाने की आवश्यकता है। देश को परम वैभव तक पहुंचने तथा पुर्न संरचना की नितांत आवश्यकता थी, जिसके लिए शिक्षा नीति में अमूल चूक परिवर्तन करना आवश्यक था।

देश को उन्नति और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए व्यवस्था परिवर्तन आवश्यक है, जिसके लिए नई शिक्षा नीति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण देश से प्राप्त 6 लाख से अधिक सुझावों, तीन साल की निरंतर चर्चा के उपरांत इस नीति को निर्धारित किया गया है, जिसमें आने वाले समय में भी सुधार किया जाता रहेगा।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र को उन्नति व अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ना है तो केवल शिक्षा ही एक माध्यम है, जोकि व्यवहारिक आधार पर होनी आवश्यक है, जिसे इस शिक्षा नीति में लागू किया गया है।

इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष व पूर्व उप कुलपति हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने नई शिक्षा नीति पर विस्तारपूर्वक विचार प्रकट किए। उन्होंने छात्राओं को शिक्षा नीति के तहत किए जाने वाले शैक्षणिक बदलाव के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति को बहुविषयक प्रणाली के आधार पर संयोजित करने का प्रयास किया गया है, जिसमें विज्ञान के साथ-साथ इनकम टैक्स भी पढ़ा जा सकता है ताकि छात्रों का सर्वांगीण विकास संभव हो सके।

उन्होंने इस अवसर पर छात्राओं द्वारा नई शिक्षा नीति को लेकर उत्पन्न संशय से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देकर छात्राओं की नई शिक्षा नीति के प्रति ज्ञान वर्धन किया।
इस अवसर पर छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: