शिमला। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर, शिमला में दिव्य हिमाचल मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित शिमला के मेधावी कार्यक्रम में 33 विद्यालयों के मेधावियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम का आयोजन विद्यापीठ शिमला के सहयोग से किया गया, जिसमें शहर के 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के लगभग 350 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और यह वह समय है जब हम अगले 25 वर्षों में किस दिशा में जाएगें, इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मेधावी विद्यार्थीं भी हमें अपने-अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, इसलिए हमें उनकी सराहना करनी चाहिए।
आर्लेकर ने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली पाठ्य पुस्तकों पर आधारित शिक्षा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि हमें उस शिक्षा प्रणाली पर विचार करने की आवश्यकता है, जो हमें प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के बाद केवल नौकरी चाहने वालों तक सीमित ही रखती है और हमें नौकरी प्रदाता नहीं बना सकती है।
उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक शिक्षा हमें गुलाम बनाने की ओर ले जाती है जबकि हमें इससे बाहर निकलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में अलग-अलग प्रयोग करने की आवश्यकता है, इसी उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लाई गई है। उन्होंने कहा एनईपी शिक्षा की दिशा और लक्ष्य निर्धारित करेगी। यह हमसे और हमारी माटी से जुड़ी हुई है।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य नैतिक मूल्य को प्रदान करना है, जो उस माध्यम में महत्वपूर्ण हैं जिसके माध्यम से यह दिया जाता है। उन्होंने कहा कि घर में शिक्षा का वातावरण बनाना माता-पिता का कर्तव्य है। राज्यपाल ने कहा कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज एक अच्छा इंसान बनना है।
एक अच्छा इंसान बनकर किसी भी पेशे में सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि देश का भविष्य युवाओं पर निर्भर करता है और शिक्षा का लक्ष्य एक अच्छा इंसान बनाना होना चाहिए क्योंकि अन्य उपलब्धियां अपने आप जुड़ती रहती हैं। उन्होंने छात्रों से शिक्षा के क्षेत्र में इस दिशा में आगे बढ़ने का आहवान किया।
इस अवसर पर शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपनी स्थापना के 75 वर्ष मना रहा है और राज्य सरकार इस संबंध में प्रगतिशील हिमाचल के नाम से एक कार्यक्रम आयोजित कर रही है।
उन्होंने प्रदेश में इन 75 वर्षों में हुए अभूतपूर्व विकास की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश की साक्षरता दर 1948 में केवल 4.8 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 90 प्रतिशत से अधिक हो गई है। सड़कों की कुल लंबाई 250 कि.मी. थी, जो अब बढ़कर 40 हजार कि.मी. हो गई है।
उन्होंने कहा कि 1948 में केवल 350 राजकीय स्कूल थे, जो अब बढ़कर लगभग 16,000 हो गए हैं और प्रदेश में 146 राजकीय डिग्री महाविद्यालय है। यह सब प्रदेश के लोगों की कड़ी मेहनत और मजबूत नेतृत्व के परिणाम स्वरूप संभव हुआ है।
उन्होंने वर्तमान राज्य सरकार की विभिन्न विकासात्मक योजनाओं और उपलब्धियों की भी जानकारी प्रदान की। उन्होंने मेधावी छात्रों को सम्मानति करने के लिए आयोजित इस सम्मान समारोह के लिए दिव्य हिमाचल को बधाई दी।