छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों में ज्यादा फीस पर कानून बनाने की फिर की मांग

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शिमला। छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों में भारी फीसों, मनमानी लूट, फीस वृद्धि व गैर कानूनी फीस वसूली पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार से आगामी केबिनेट बैठक में कानून को अंतिम रूप देने की मांग की है ताकि मानसून सत्र में यह कानून बन सके।

मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आगामी केबिनेट बैठक में कानून पर सरकार ने सकारात्मक रुख न अपनाया तो निजी स्कूलों से प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग की मिलीभगत के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच 29 जुलाई को उच्चतर शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन करेगा।

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सदस्य विवेक कश्यप ने कहा है कि प्रदेश सरकार की नाकामी व उसकी निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं। कोरोना काल में भी निजी स्कूल टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर फीस,स्मार्ट क्लास रूम, मिसलेनियस, केयरज़, स्पोर्ट्स, मेंटेनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग फंड, ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्जेज़ वसूलते रहे हैं।

निजी स्कूलों ने बड़ी चतुराई से वर्ष 2022 में कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज़्यादा हिस्से को टयूशन फीस में बदल कर लूट को बदस्तूर जारी रखा है। उन्होंने प्रदेश सरकार पर निजी स्कूलों से मिलीभगत का आरोप लगाया है। कानून का प्रारूप तैयार करने में ही इस सरकार ने तीन वर्ष का समय लगा दिया। अब जबकि एक साल पहले अभिभावकों ने कानून को लेकर दर्जनों सुझाव दिए हैं तब भी जान बूझकर यह सरकार कानून बनाने में आनाकानी कर रही है।

पिछले बजट सत्र में कानून हर हाल में बनना चाहिए था परन्तु सरकार की संवेदनहीनता के कारण कानून अभी तक भी नहीं बन पाया। सरकार की नाकामी के कारण ही बिना एक दिन भी स्कूल गए बच्चों की फीस में पिछले दो वर्षों में पन्द्रह से पचास प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है।

स्कूल न चलने से स्कूलों का बिजली, पानी, स्पोर्ट्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट क्लास रूम,मेंटेनेंस, सफाई आदि का खर्चा लगभग शून्य हो गया है तो फिर इन निजी स्कूलों ने किस बात की पन्द्रह से पचास प्रतिशत फीस बढ़ोतरी की है और इस बढ़ोतरी पर सरकार मौन है।

उन्होंने कहा कि फीस वसूली के मामले पर वर्ष 2014 के मानव संसाधन विकास मंत्रालय व 5 दिसम्बर 2019 के शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों का निजी स्कूल खुला उल्लंघन कर रहे हैं व इसको तय करने में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका को दरकिनार कर रहे हैं।

निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्जेज़ की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं जिसमें उच्च न्यायालय ने सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाई थी।

उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह निजी स्कूलों में फीस,पाठयक्रम व प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए आगामी मानसून सत्र में कानून बनाए व रेगुलेटरी कमीशन का गठन करे।

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