दिनांक – 20 जुलाई 2022
दिन – बुधवार
विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
शक संवत -1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा ऋतु
मास -श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार आषाढ़)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – सप्तमी सुबह 07:36 तक तत्पश्चात अष्टमी
नक्षत्र – रेवती दोपहर 12:50 तक तत्पश्चात अश्र्विनी
योग – सुकर्मा दोपहर 12:43 तक तत्पश्चात धृति
राहुकाल – दोपहर 12:45 से दोपहर 02:24 तक
सूर्योदय – 06:08
सूर्यास्त – 19:21
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
बुधवारी अष्टमी सुबह 07:37 से 21 जुलाई सूर्योदय तक
विशेष –
सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण)
चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।
शिव विशेष मंत्र
ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नम: ॐ”
शिवपुराण, रूद्रसंहिता, युद्ध खंड के अनुसार यह शुभ मन्त्र महान पुण्यमय तथा शिव को प्रसन्न करने वाला है। यह भुक्ति – मुक्ति का दाता, सम्पूर्ण कामनाओं का पूरक और शिवभक्तों के लिये आनंदप्रद है।
यह स्वर्गकामी पुरुषों के लिये धन, यश और आयु की वृद्धि करनेवाला है। यह निष्काम के लिये मोक्ष तथा साधन करने वाले पुरुषों के लिये भुक्ति – मुक्ति का साधक है।
जो मनुष्य पवित्र होकर सदा इस मन्त्र का कीर्तन करता है, सुनता है अथवा दूसरे को सुनाता है, उसकी सारी अभिलाषाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
चातुर्मास में करने योग्य
चातुर्मास में ३ बिल्व पत्र डाल कर “ॐ नमः शिवाय” ५ बार जप करके और “ब्रह्म ही जल रूप बन कर आया है” ऐसी भावना करके नहाना चाहिये । आंवला, जौ और तिल का पेस्ट बनाकर शरीर पर रगड़कर अथवा तो ये तीनो का पाऊडर पानी में डालकर नहाना चाहिये।
स्नान में कभी गर्म पानी का प्रयोग ना करें, वायु की तकलीफ वाले ना ज्यादा गर्म ना ज्यादा ठंडा पानी प्रयोग करें। सिर पर तो कभी भी गर्म पानी नहीं डालना चाहिये । ऐसा करने पर सभी तीर्थ स्नान करने का पुण्य मिलता है ।
गर्भ की रक्षा
चांदी की कटोरी में दही जमाकर खाने से गर्भपात नहीं होता।
बार बार बुखार आना
बार-बार बुखार आता हो तो भोजन से पहले २-३ ग्राम अदरक और थोड़ा नींबू खाएं फिर भोजन करें।