हिमाचल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को साकार करते हुए प्रदेश मंत्रिमण्डल ने हिमाचल प्रदेश ड्रोन नीति-2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि
हिमाचल प्रदेश ड्रोन नीति तैयार करने वाला देश का पहला राज्य है। इस नीति में ड्रोन के उपयोग सेे शासन एवं सुधार (गरूड़) के आधार पर एक समग्र ड्रोन ईको सिस्टम तैयार करने की परिकल्पना की गई है।
इसके माध्यम से सुदृढ़ आधारभूत संरचना, अनुसंधान एवं विकास, ड्रोन विनिर्माताओं और सेवा प्रदाताओं की बाजार तक पहुंच सुनिश्चित होगी। यह नीति पहाड़ी प्रदेश के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के लोगों के लिए अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होगी।
उन्होंने कहा कि यह नीति मुख्य रूप से ड्रोन और ड्रोन-सक्षम प्रौद्योगिकी के निर्माण तथा लाइसेंस प्राप्त मानव शक्ति के सृजन पर केन्द्रित है और इसके लिए ड्रोन फ्लांइग प्रशिक्षण स्कूल स्थापित कर विभिन्न ड्रोन सम्बन्धित पाठयक्रमों के माध्यम से उनका कौशल विकास किया जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के माध्यम से भारत सरकार द्वारा भी इन्हें अन्तिम रूप दिया जा रहा है ताकि विद्यार्थियों को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क से जोड़कर युवाओं को ड्रोन क्षेत्र से सम्बन्धित रोजगार के अवसरों का उपयोग करने के लिए सशक्त किया जाएगा।
प्रवक्ता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश औद्योगिक निवेश नीति, हिमाचल प्रदेश स्टार्टअप/नवाचार योजना तथा आईटी, आईटीईएस और ईएसडीएम नीति-2019 से प्राप्त प्रोत्साहनों का भी इस ड्रोन नीति से लाभ होगा।
यह नीति ड्रोन के डिजाइन, निर्माण और सेवा आधारित उद्योगों की स्थापना में सहायक सिद्ध होगी।
इसके अतिरिक्त, ड्रोन के उपयोग तथा ड्रोन सम्बन्धित तकनीक के उपयोग और राज्य में रोजगार के अवसर पैदा करने तथा प्रदेश में निवेश को भी प्रोत्साहित करेगी।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के दखल से राज्य में कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था इत्यादि क्षेत्रों में फलदायी सम्मिश्रण से हरित, उपयोगी और सतत् भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त होगा