शिमला। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज यहां भारतीय किसान संघ हिमाचल प्रदेश के त्रिवार्षिक प्रदेश अधिवेशन तथा किसान-उद्यमी-वैज्ञानिक परिसंवाद की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारतीय किसान संघ सार्थक विषयों और प्रेरणा के साथ आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि आज हम कृषि क्षेत्र में भी पश्चिमी पद्धति को अपनाने के लिए उत्सुक रहते हैं और अपनी पारम्परिक पद्धति को भूल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी उपज की लागत कम करने के उपाय करने चाहिए। उन्होंने कहा कि आज जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम हो रही है और किसानों को गौ आधारित कृषि पद्धति को अपनाने की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसान की भूमिका आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है और उन्हें कम करके नहीं आंका जा सकता है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश भारतीय किसान संघ का गौ आधारित कृषि के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र आज पूंजी की कमी से जूझ रहा है और किसानों से संबंधित मुद्दोें में पारदर्शिता होनी चाहिए, क्योंकि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा में ही किसानों को लाभ होगा। बाजार व्यवस्था जितनी विकेंद्रीकृत होगी, किसानों को उतना ही लाभ होगा।
उन्होंने उत्पादन के साथ किसानों को पोषण की ओर भी ध्यान देने और हिमालयी क्षेत्रोें में कृषि की समस्याओं को अलग से उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक से उद्यमी बनें और विपणन अपने हाथ में लें, इसके लिए उन्हें जागरूक और जागृत करने की जरूरत है और भारतीय किसान संघ इस दिशा में कार्य कर रहा है।