आज का पंचांग
दिनांक 30 अगस्त 2021
दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत – 1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार – श्रावण)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – अष्टमी 31अगस्त रात्रि 01:59 तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र -कृत्तिका सुबह 06:39 तक तत्पश्चात रोहिणी
योग -व्याघात सुबह 07:47 तक तत्पश्चात हर्षण
राहुकाल – सुबह 07:56 से सुबह 09:30 तक
सूर्योदय – 06:22
सूर्यास्त – 18:55
दिशाशूल- पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण -जनमाष्टमी
विशेष –
अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
जन्माष्टमी व्रत की महिमा
१] भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिरजी को कहते हैं : “२० करोड़ एकादशी व्रतों के समान अकेला श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत है।
२] धर्मराज सावित्री से कहते हैं : “ भारतवर्ष में रहनेवाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है वह १०० जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।
श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार
भारतवर्ष में रहने वाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। इसमें संशय नहीं है।
वह दीर्घकाल तक वैकुण्ठलोक में आनन्द भोगता है। फिर उत्तम योनि में जन्म लेने पर उसे भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न हो जाती है-यह निश्चित है।
अग्निपुराण के अनुसार
इस तिथि को उपवास करने से मनुष्य सात जन्मों के किये हुए पापों से मुक्त हो जाता है।
अतएव भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी को उपवास रखकर भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करना चाहिये।
यह भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाला है।
भविष्यपुराण के अनुसार
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत जो मनुष्य नहीं करता, वह क्रूर राक्षस होता है।
स्कन्दपुराण के अनुसार
जो व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी व्रत नहीं करता, वह जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है।
चार रात्रियाँ विशेष पुण्य प्रदान करनेवाली हैं।
१ )दिवाली की रात
२) महाशिवरात्रि की रात
३) होली की रात और
४) कृष्ण जन्माष्टमी की रात इन विशेष रात्रियों का जप, तप , जागरण बहुत बहुत पुण्य प्रदायक है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि कहा जाता है। इस रात में योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मन्त्र जपते हुए जागने से संसार की मोह-माया से मुक्ति मिलती है।
जन्माष्टमी का व्रत व्रतराज है। इस व्रत का पालन करना चाहिए।