3 फरवरी का पञ्चाङ्ग

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आज का हिन्दू पंचांग

दिनांक – 03 फरवरी 2022

दिन – गुरुवार

विक्रम संवत – 2078

शक संवत -1943

अयन – उत्तरायण

ऋतु – शिशिर

मास – माघ

पक्ष – शुक्ल

तिथि – तृतीया 04 फरवरी प्रातः 04:38 तक तत्पश्चात चतुर्थी

नक्षत्र – शतभिषा शाम 04:35 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद

योग – परिघ रात्रि 09:17 तक तत्पश्चात शिव

राहुकाल – दोपहर 02:17 से शाम 03:41 तक

सूर्योदय – 07:16

सूर्यास्त – 18:28

दिशाशूल – दक्षिण दिशा में

विशेष

तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

माघ शुक्ल तृतीया (गौरी तृतीया)

3 फरवरी 2022 गुरुवार को माघ शुक्ल तृतीया है।

तृतीया तिथि को सार्वत्रिक रूप से गौरी की पूजा का निर्देश है, चाहे किसी भी मास की तृतीया तिथि हो। भविष्यपुराण के अनुसार माघ मास की शुक्ल तृतीया अन्य मासों की तृतीया से अधिक उत्तम है।

माघ मास की तृतीया स्त्रियों को विशेष फल देती है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को सौभाग्य वृद्धिदायक गौरी तृतीया व्रत किया जाता है।

भविष्यपुराण उत्तरपर्व में आज से शुरू होने वाले ललितातृतीया व्रत की विधि का वर्णन है जिसके करने से नारी को सौभाग्य, धन, सुख, पुत्र, रूप, लक्ष्मी, दीर्घायु तथा आरोग्य प्राप्त होता है और स्वर्ग की भी प्राप्ति होती है।

सौभाग्यं लभते येन धनं पुत्रान्पशून्सुखम् । नारी स्वर्गं शुभं रूपमारोग्यं श्रियमुत्तमाम् ।

भविष्यपुराण, ब्राह्मपर्व में भगवती गौरी ने धर्मराज से कहा :- माघ मास की तृतीया को गुड़ और लवण (नमक) का दान स्त्रियों एवं पुरुषों के लिए अत्यंत श्रेयस्कर है भगवन शंकर की प्रिये उस दिन मोदक एवं जल का दान करें।

माघमासे तृतीयायां गुडस्य लवणस्य च । दानं श्रेयस्करं राजन्स्त्रीणां च पुरुषस्य च।

तृतीयायां तु माघस्य वामदेवस्य प्रीतये । वारिदानं प्रशस्तं स्यान्मोदकानां च भारत।

पद्मपुराण, सृष्टि खंड के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष तृतीया मन्वंतर तिथि है। उस दिन जो कुछ दान दिया जाता है उसका फल अक्षय बताया गया है।

धर्मसिंधु के अनुसार माघ मास में ईंधन, कंबल, वस्त्र, जूता, तेल, रूई से भरी रजाई, सुवर्ण, अन्न आदि के दान का बड़ा भारी फल मिलता है।

माघ में तिलों का दान जरूर जरूर करना चाहिए। विशेषतः तिलों से भरकर ताम्बे का पात्र दान देना चाहिए।

ससुराल मे कोई तकलीफ

कष्टों से मुक्ति पाने के लिए करें यह उपाय

किसी सुहागन बहन को ससुराल मे कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें। उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें।

भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाए, दूध रोटी खा लें। शुक्ल पक्ष की तृतीया को अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें।

नमक बिना का भोजन(दूध रोटी), एक बार खाए बगैर अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल।

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