शिमला रोपवे परियोजना मतलब कम किराया और समय की बचत, 15 किलोमीटर रोपवे को मिली मंजूरी : भारद्वाज

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शिमला। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिमला शहर के लिए लगभग 15 किलोमीटर लम्बी रोपवे परियोजना को मंज़ूरी मिल गयी है। भारद्वाज ने कहा कि इस परियोजना कि खास बात यह रहेगी कि शहर में एक जगह से दूसरी जगह जाने समय की भी बचत होगी और काम किराए में सफर हो सकेगा। इस परियोजना के हिसाब से 10 किलोमीटर तक (रोपवे के हिसाब से दूरी) के सफर के लिए 50 रूपये किराया देना होगा।

सही मायने में यह परियोजना जनता के लिए लाभकारी सिद्ध होगी। जहाँ एक और समय कि बचत होगी वहीँ पर्यावरण की दृष्टि से भी यह योजना लाभकारी होगी।

भारद्वाज ने कहा कि पहले भी कई बार रोपवे लगाने कि बातें हुई है लेकिन केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली डबल इंजन की सरकार ने अनुमानित 1500 करोड़ की इस परियोजना को मंज़ूरी दी है।

भारद्वाज ने इस परियोजना के सम्बन्ध में पिछले कल रैपिड एंड रोपवे ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलपमेंट कारपोरेशन से एक प्रेसेंटेशन भी ली जिसमे शिमला से सम्बंधित विभिन पहलुओं को ध्यान में रखने के निर्देश दिए।

भारद्वाज ने कहा कि काम किराए में स्थानीय लोगों को सुविधा देने के लिए यह एक बेहतरीन योजना है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना न केवल स्थानीय लोगों के आने जाने के लिए बल्कि शिमला में पर्यटन की दृष्टि से भी लाभकारी सिद्ध होगी।

भारद्वाज ने कहा कि भाजपा सरकार ने यातायात के नए अवाम तलाशने एवं कार्यान्वित करने के लिए इस कारपोरेशन की स्थापना की है। जल्द ही इस परियाजना से सम्बंधित वांछित औपचारिकताओं को पूरा कर लिया जायेगा। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार व्यक्त करते हुए भारद्वाज ने कहा कि शिमला के लिए यह न केवल एक बड़ी सौगात है बल्कि एक व्यावहारिक योजना है।

इस परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसमें 14.69 किलोमीटर के नेटवर्क की लंबाई के साथ 15 बोर्डिंग और डी-बोर्डिंग स्टेशन होंगे।

भारद्वाज ने बताया कि जहाँ यह योजना गाड़ियों पर निर्भरता को काफी हद तक काम करेगी वहीँ ट्रैफिक, पर्यावरण को होने वाले नुक्सान और समय की बर्बादी जैसी समस्याओं का भी समाधान सिद्द होगी।

यह रोपवे परियोजना तारादेवी से शुरू होगी और इसमें स्मार्ट पार्किंग, लिफ्ट, एस्केलेटर का संयोजन मौजूदा परिवहन नेटवर्क के साथ एकीकृत किया जाएगा। यह एक कार्बन न्यूट्रल प्रोजेक्ट होगा।

भारद्वाज ने कहा कि शिमला में शहरी परिवहन प्रदान करने के लिए यह एकमात्र व्यवहार्य समाधान है क्योंकि भौगोलिक और भू-तकनीकी सीमाओं के कारण बीआरटीएस, मोनोरेल, मेट्रो का निर्माण नहीं किया जा सकता है।औपचारिकताओं के पूरा होते ही इस परियोजना पर काम शुर किया जायेगा और इसके लिए 5 वर्ष का लक्ष्य रखा है।

भारद्वाज ने बताया कि शिमला में बहुत से महत्वपूर्ण काम हुए हैं जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं जा सकता था। उन्होंने बताया कि शिमला की संकरी सड़कों को जहाँ जहाँ संभव हुआ वहां चौड़ा किया गया है। इसके अलावा सड़कों के एक ओर पैदल चलने के लिए 17 किलोमीटर के लगभग रास्तों का निर्माण किया गया है।

जगह जगह फुटओवर ब्रिज बनाये गए हैं और शहर में 3 लिफ्टों का कम चल रहा है जिसमें विकासनगर लिफ्ट का उदघाटन हो चुका है। इसके अलावा एस्कलेटर भी स्थापित किये जा रहे हैं। ढली में डबल लेन सुरंग लगभग बनकर तैयार है।

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