शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला का 51वां स्थापना दिवस आज सादे किन्तु गरिमापूर्ण तरीके से आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान कोरोना संकट के दृष्टिगत निर्धारित दिशा-निर्देशों का पूर्ण पालन सुनिश्चित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने की। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने पांच मंजिला ‘स्वामी विवेकानंद भवन’ का लोकार्पण किया। इसमें पहली मंजिल पर भूगोल विभाग, दूसरी मंजिल पर शारीरिक शिक्षा विभाग, तीसरी व चौथी मंजिल में मंजिल में व्यावसायिक अध्ययन संस्थान तथा धरातल मंजिल पर पार्किंग की सुविधा प्रदान की गई है। इस भवन का निर्माण 4.71 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया गया है।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 51वें स्थापना दिवस की बधाई देते हुए, राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए शैक्षिक विकास की लंबी यात्रा तय की है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के छात्रों ने ज्ञान, विज्ञान, कला और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है।
उन्होंने कहा कि इस परंपरा को और सुदृढ़ करने की आवश्यक्ता है। उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की स्थापना और संचालन में पूरे समाज का योगदान होता है। विश्वविद्यालयों को भी समग्र रूप से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। राज्यपाल ने कहा विश्वविद्यालय को सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए सक्रिय होना चाहिए। समाज के गरीब लोगों, गांवों और उपेक्षित लोगों की प्रगति में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर उन्हें हर तरह से जागरूक करना चाहिए।
दत्तात्रेय ने कहा कि ज्ञान इस सदी के विश्व बाजार में सबसे महत्वपूर्ण पूंजी के रूप में उभरा है और ज्ञान, बुद्धि व कौशल के क्षेत्र में भी निरंतर परिवर्तन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए नवाचार के परिणामस्वरूप, अपने ज्ञान और कौशल को लगातार प्रासंगिक बनाए रखना एक चुनौती व अवसर दोनों हैं।
राज्यपाल ने कहा कि एक व्यक्ति जो हमेशा नया जानने और सीखने का प्रयास करता है, वह इस चरण की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा। ऐसे व्यक्ति जो हमेशा जिज्ञासा, उत्साह और सतर्कता के साथ अपने ज्ञान, कौशल और बुद्धिमत्ता का विकास करता है, उनके लिए आज अपार अवसर हैं।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय प्रशासन को बी-टेक, सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्राॅनिक्स और संचार के नए व्यवसाय पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए बधाई दी और प्रसन्नता व्यक्त की कि पर्यावरण अध्ययन, रक्षा अध्ययन, माइक्रोबायोलाॅजी और पुस्तकालय विज्ञान जैसे नए पाठ्यक्रम इस सत्र से शुरू किए जाएंगे।
उन्होंने इस महामारी के समय में प्रौद्योगिकी को अधिक से अधिक अपनाने और उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि हमें कोरोना की चुनौती को एक अवसर में बदलना होगा।
राज्य सरकार द्वारा ‘कौशल रजिस्टर पोर्टल’ शुरू करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों से लौटने वाले युवाओं को इसमें अपना नाम दर्ज करवाना चाहिए, ताकि हम उनके कौशल का लाभ उठा सकें। उन्होंने इस कठिन समय में आत्मविश्वास बनाए रखने और दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को अनुसंधान का केंद्र बनना चाहिए, जहां शिक्षा का आधार चरित्र निर्माण होना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय के ग्रेड को बढ़ाने के साथ ही गुणात्मक शिक्षा पर बल दिया। उन्होंने शिक्षकों को नियमितता, समय की पाबंदी और अनुशासन बनाए रखने पर भी बल दिया।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने स्वर्ण जयंती समारोह पर विश्वविद्यालय को बधाई देते हुए कहा कि इन 50 वर्षों में बहुत विकास हुआ है और आज राज्य में 129 राजकीय महाविद्यालय, 17 संस्कृत महाविद्यालय और इस विश्वविद्यालय से संबद्ध कई अन्य महाविद्यालय हैं, लेकिन अब हमें उच्च शिक्षा के साथ-साथ अनुसंधान गतिविधियों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने शोध कार्य पर विशेष बल दिया है और बजट का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को इसका लाभ उठाना चाहिए। अनुसंधान गतिविधियों में वृद्धि होगी तो रैंकिंग में सुधार होगा। उन्होंने राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में अच्छा प्रदर्शन करने और नैक में अच्छे परिणाम लाने की आवश्यकता पर बल दिया।