हमीरपुर। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि भारतीय सेना के जवानों की पैंशन घटाने का फैसला लेकर केंद्र सरकार ने हमारे सैनिकों व उनके परिजनों से छल किया है।
पड़ोसी देशों से होने वाली लड़ाईयों में सैन्य बाहुल्य हिमाचल के सपूतों का सबसे ज्यादा योगदान रहा है लेकिन अब अपने सपूतों से हो रही इस बेइंसाफी पर प्रदेश सरकार ने चुप्पी साध ली है।
जारी प्रेस विज्ञप्ति में विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार वैसे भी हिमाचल के मुद्दों को लेकर 3 साल से खामोश बैठी है। न तो हिमाचली हितों को केंद्र में प्रभावी ढंग से रख पाई है।
आर्थिक रूप से हिमाचल को कंगाली के मुहाने पर ले आई प्रदेश सरकार को अब कर्जों वाली सरकार से लोग जानने लगे हैं। उन्होंने कहा कि साल भर पहले इन्वेस्टर मीट पर सरकार ने मौन धारण कर लिया है। करोड़ों खर्च करके करवाई गई इन्वेस्टर मीट से सकारात्मक परिणाम आए होते तो कोरोना काल में बेरोजगार हुए लोगों को भी सहारा मिलता।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सड़कों की हालत बीते 3 साल में सबसे बुरे खस्ताहाल में है। बेरोजगारी साल दर साल बढ़ रही है और रोजगार के संसाधन खत्म हो चुके हैं। किसी भी मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार का विजन स्पष्ट नहीं है।
मुद्दाविहीन बनकर रह चुकी सरकार पर अफसरशाही का ही बोलबाला है। उन्होंने कहा कि अब सैनिकों की पैंशन पर कैंची चलाने का प्रयास कर रही केंद्र सरकार के समक्ष भी प्रदेश सरकार ने मौन धारण किया है जबकि छोटे से हिमाचल के जवान ही हर लड़ाई में सबसे ज्यादा वीरगति को प्राप्त होते है।
उन्होंने कहा कि अब प्रदेश की जनता भी समझ गई है कि वर्तमान सरकार केवल मौजमस्ती करने आई है और विकास कार्यों से लेकर हिमाचल की जनता की उन्हें कोई परवाह नहीं है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि 3 साल की अवधि के बीच सरकार अपने चुनावी घोषणापत्र का कोई एक काम ऐसा गिनाए, जो उन्होंने पूरा किया हो।