सेब सीजन के लिए करें व्यापक व विस्तृत व्यवस्था, मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

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शिमला। सेब उत्पाद के परिवहन के लिए विस्तृत और व्यापक व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत बागवानों को अपने उत्पाद मण्डियांे तक ले जाने में असुविधा का सामना न करना पड़े। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने यहां सेब सीजन की तैयारियों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि फल उत्पादकों की सुविधा के लिए एचपीएमसी ने पैकेजिंग सामग्री जैसे कार्टनस, सैपरेटर्स, ट्रे और अन्य संबंधित सामग्रियों की आपूर्ति के लिए 26 फर्में सूचीबद्ध की है। उन्होंने कहा कि इन फर्मों द्वारा लगभग 1.20 करोड़ कार्टन तैयार किए जा चुके हैं।

जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश बागवानी विभाग ने नई दिल्ली की आजादपुर मण्डी और हरियाणा के सोनीपत की गनौर मण्डी में उत्पादकों के लिए विपणन सुविधा की व्यवस्था की है।

उन्होंने कहा कि लगभग 1.17 लाख मीट्रिक टन क्षमता के नियंत्रित वायुमण्डल भण्डार (सीए स्टोर) हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में सरकारी और निजी क्षेत्रों में चिन्हित किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा बागवानों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से 32 हजार मीट्रिक टन कोल्ड स्टोरेज सुविधा उपलब्ध है।

जय राम ठाकुर ने लोक निर्माण विभाग को सेब उत्पाद क्षेत्रों में सड़कों और सम्पर्क मार्गों का उचित रख-रखाव सुनिश्चित करने के निर्देश दिए ताकि वाहनों का आवागमन सुचारू रहे।

उन्होंने कहा कि सेब के सीजन के दौरान कानून व व्यवस्था भी सुनिश्चित की जानी चाहिए और विभिन्न स्थानों पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाने चाहिए ताकि ट्रकों की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित की जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग को उन ठेकेदारों के साथ बैठक भी करनी चाहिए जो श्रमिकों को वापिस लाने के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बागवानों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि श्रमिकों की कमी के कारण बागवानों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

उन्होंने कहा कि किसानों को क्लर स्प्रे के उपयोग से बचने के लिए भी प्रेरित किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल उन्हें अपने उत्पाद की अच्छी कीमत मिलेगी और साथ ही श्रमिकों की समस्या भी हल करने में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नेपाली श्रमिकों पर निर्भरता से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि मजदूरों की वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि यदि आवश्यक हो तो राज्य सरकार देहरादून और अन्य स्थानों तक बसें भेजने पर भी विचार कर सकती है ताकि नेपाली श्रमिकों को राज्य में लाया जा सके।

उन्होंने कहा कि राज्य में श्रमिकों को लाने के लिए नेपाल के सीमावर्ती जिलों के प्रशासन से भी बात की जानी चाहिए।

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