सरकारी उपक्रमों को बेचने की सरकारी जिद्द, देश के भविष्य के लिए घातक : राणा

Spread with love

हमीरपुर। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कहा है कि सत्ता हासिल करने से पहले निजीकरण का विरोध करने वाली बीजेपी के राज में अब करीब-करीब सभी सरकारी संस्थानों का निजीकरण तय है। दुर्भाग्य यह है कि जिन संस्थानों को बनाने व संवारने में कांग्रेस ने लंबा समय व लंबा संघर्ष लगाया है, अब सरकार कांग्रेस की वर्षों की इस मेहनत पर पानी फेरने जा रही है।

निजीकरण के समाचारों की सुर्खियां बता रही हैं कि अब रेल ही नहीं रेलवे स्टेशन तक भी बिकेंगे। बैंक और बीमा कंपनियों को फरोख्त करने की तैयारी जारी है। दक्षिण-पूर्वी रेलवे के चार डिवीजन से 3681 पोस्टें खत्म की जा रही हैं। जबकि रांची रेलवे डिवीजन को 100 पोस्टें सरेंडर करने का आदेश आ चुका है।

राणा ने कहा कि 950 करोड़ में बीएसएनएल को बेचने की तैयारी पूरी कर ली गई है। पैसेंजर ट्रेनें अब निजी कंपनियों के हवाले होंगी। रेलवे ने 109 प्राइवेट ट्रेन चलाने के रास्ते को हरी झंडी दे दी है। जिसमें स्टाफ से लेकर ट्रेन चलाने वाले भी विदेशी हो सकते हैं।

रेलवे में रिटायरमेंट से खाली हो रही 50 फीसदी पोस्टें खत्म करके युवाओं के सपनों पर कुठाराघात किया गया है। इतना ही नहीं देश में अब राष्ट्रीय राजमार्गों को बेच कर हजारों करोड़ इक्ट्ठा करने के मंसुबे लगातार जारी हैं। देश में सरकारी बैंकों की संख्या को 1 दर्जन से घटाकर 5 करने की तैयारी चल रही है।

इस दिशा में पहले चरण में बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब एंड सिंध बैंक पर तलवार लटकी है। राणा ने कहा कि माना जा रहा है कि कोविड-19 के संकट के बहाने सरकार नॉन कोर कंपनियों और सेक्टर में परिसंपत्तियां बेचकर धन जुटाने के लिए निजीकरण योजना पर काम कर रही है।

कई सरकारी समितियों और रिजर्व बैंक की मानें तो देश में अब 5 ही बैंक होंगे जबकी दूसरी ओर सरकार यह कह चुकी है कि अब सरकारी बैंकों में से किसी बैंक का भी विलय नहीं होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: