सत्तामद में चूर केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की लगाम : राणा

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हमीरपुर। सत्तामद में चूर किसान आंदोलन को कुचलने पर अमादा बीजेपी सरकार पर अब सुप्रीम कोर्ट ने लगाम लगाई है। यह बात राज्य कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने कही है।

उन्होंने कहा कि किसानों के पक्ष में पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि कृषि बिल के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को बीजेपी सरकार हैंडल करने में पूरी तरह नाकाम रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाकर जहां देश को अराजकता के दौर में जाने से बचाया है वहीं संविधान व कानून के प्रति आम आदमी के भरोसे को बढ़ाया है। राणा ने कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई के दौरान सरकार और किसान जत्थेबंदियों में जमकर दलीले चलीं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार या तो कानून अमल पर तुरंत रोक लगाए या फिर न्यायालय इसे खुद होल्ड कर देगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाले बैंच में सरकार की खिचाई करते हुए कहा है कि सरकार ने कृषि बिल के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को सही तरह से हैंडल नहीं किया है।

सरकार की किसानों से हुई हर वार्ता बेनतीजा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा है कि राज्य भी कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। वहीं अभी तक एक भी अर्जी सुप्रीम कोर्ट में ऐसी नहीं लगी है जिसमें यह कहा गया हो कि कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट नाराजगी जताते हुए कहा है कि तमाम केंद्र सरकार किसानों के प्रदर्शन की समस्या का हल करने में नाकाम रही है। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि सरकार इस मामले में बातचीत के लिए तुरंत कमेटी गठित करे जिसमें कमेटी की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस खुद करेंगे।

राणा ने कहा कि झूठ बोलने व भाषणबाजी में माहिर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि न्यायालय के सब्र को लेकर सरकार उन्हें भाषण न दे। कोर्ट ने सरकार को जरूरत से ज्यादा वक्त दिया ताकि समस्या का समाधान हो।

कोर्ट ने कहा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई संकेत दिए थे तब सरकार कानून के अमल पर रोक लगा सकती थी लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।

कोर्ट ने लोकतंत्र व संविधान को बहाल रखते हुए कहा है कि किसान अपना प्रदर्शन कर सकते हैं बेशर्ते कि वह अमन और चैन के साथ चलें।

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