शिमला। पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन के साथ-साथ शिमला क्षेत्र की सुदंरता को बढ़ाने तथा अन्य प्रजातियों के पौधों का विस्तार करने के लिए पौधा रोपण अति आवश्यक है, जिसके लिए सभी का सहयोग आपेक्षित है।
शहरी विकास, नगर नियोजन, आवास, संसदीय कार्य, कानून एवं सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज रूप नारायण समाज कल्याण समिति द्वारा मिस्ट चैंबर तथा न्यू शिमला के समीप जंगल में पौधा रोपण कार्यक्रम के उपरांत यह विचार व्यक्त किए।
उन्होंने बताया कि आज इस पौधा रोपण के तहत देवदार, बान व अन्य प्रजातियों के 350 पौधे रोपित किए गए।
उन्होंने कहा कि वन विद्यार्थी योजना, सामुदायिक वन संवर्धना योजना तथा वन समृद्धि योजना के तहत वन मण्डल शिमला द्वारा ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्र के 200 हैक्टेयर भूमि पर करीब डेढ़ लाख विभिन्न प्रजातियों के पौधों को रोपित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में देवदार तथा कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दाडू, आंवला, पीपल, रीठा जैसे औषधीय पौधों को रोपण किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा एक बूटा बेटी के नाम कार्यक्रम के तहत वन मण्डल शिमला में पिछले साल जन्मी 158 चयनित कन्याओं के अभिभावकों को पांच-पांच पौधे, ट्री गार्ड, वर्मी कम्पोष्ठ खाद् और बेटी के नाम की प्लेट प्रदान की गई, जिसका उद्देश्य इन बच्चियों के अभिभावकों द्वारा बच्चियों के पालन-पोषण के साथ-साथ इन पेड़ों का भी पोषण सुनिश्चित करना है।
वन विद्यार्थी योजना के तहत स्कूलों में छात्राओं द्वारा पेड़-पौधे के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। नव युवक मण्डलों तथा महिला मण्डलों द्वारा जिला तथा प्रदेश के क्षेत्रों में वन विभाग से पौधे प्राप्त कर अपने-अपने क्षेत्रों में खाली पड़ी भूमि पर पौधा रोपण किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस कड़ी में आज शिमला शहर में रूप नारायण समाज कल्याण समिति द्वारा यह पौधारोपण कार्यक्रम शिमला शहर की सुन्दरता बढ़ाने व धरोहर के संरक्षण व संवर्धन के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि शिमला शहर में खाली पड़ी भूमि का वनों से श्रृंगार हो सके इस लक्ष्य को लेकर हर आम जनमानस को अपने आस-पास खाली जमीन में पौधों को रोपित करना चाहिए। अगर प्रत्येक व्यक्ति पांच-पांच पौधे रोपित कर उनका संरक्षण करेगा तो शिमला शहर में बढ़ती हुई प्रदूषण की समस्या से निजात मिलेगी तथा पर्यावरण संरक्षण भी होगा, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी भी प्रदूषण मुक्त रहेगी।