वर्व रिन्यूएबल्स ने किसानों के लिए बिजली उत्पादन का लिया संकल्प

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नई दिल्ली। हरियाणा किसानों से पराली जुटाकर उसे एनर्जी प्रोड्यूसर्स तक पहुंचाने के इकोसिस्टम में मजबूत पुल का काम करने वाले वर्व रिन्यूएबल्स ने 1,50,000 मीट्रिक टन कृषि अपशिष्ट जुटाने का संकल्प लिया है।

वर्तमान में वर्व रिन्यूएबल्स पंजाब और हरियाणा में 50,000 एकड़ से अधिक कृषि भूमि से धान के पुआल को इकट्ठा करता है और सितंबर से जुलाई के बीच उसे नरसिंहगढ़ शुगर मिल्स में 25 मेगावाट के को-जनरेशन पॉवर प्लांट के बॉयलर में जलाने के लिए सप्लाई करता है।

वर्व रिन्यूएबल्स अपने ऑपरेशंस के दूसरे वर्ष में है और वह धान के पुआल जैसे कृषि अपशिष्ट के निपटान के लिए तीन-आयामी दृष्टिकोण का उपयोग करता है।

सबसे पहले तो वह स्थायी तरीके से कृषि अपशिष्ट का निपटान करता है दूसरा बॉइलर में जलाने को तैयार बायोमास संसाधन को एकत्रित करना और शुगर मिल्स के साथ अटैच को-जनरेशन पॉवर प्लांट्स और बड़े उद्योगों के कैप्टिव पॉवर प्लांट्स को डिलीवर करना और तीसरा, उत्तरी भारत में वायु प्रदूषण के लिए इकोलॉजिकल सॉल्युशन प्रदान करने के लिए परली का ऊर्जा उत्पादन के लिए वैकल्पिक इस्तेमाल करना।

आईएआरआई भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अध्ययन से पता चलता है कि फसलों से जुड़ा अवशेष मुख्य रूप से धान का पुआल जलने से 149.24 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड, 2.9 मिलियन टन से अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड, 0.25 मिलियन टन सल्फर के ऑक्साइड रड 1.28 मिलियन टन पार्टिकुलेट मैटर और 0.07 मिलियन टन ब्लैक कार्बन निकलता है।

यह सब दिल्ली, एनसीआर, पंजाब, हरियाणा और यूपी में वायु प्रदूषण के स्तर को खतरनाक बनाता है।

धान के खेतों में हर सीजन में औसतन 2 टन धान के पुआल का उत्पादन होता है। वर्व रिन्यूएबल्स की विशेषज्ञता के साथ नारायणगढ़ शुगर मिल्स को-जनरेशन प्लांट में 75,000 एकड़ जमीन से धान के पुआल के कचरे का इस्तेमाल करने की क्षमता है और इस प्रकार वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय नुकसान को कम करने में योगदान देता है।

इस वर्ष किए गए कार्यों और योजनाओं पर बात करते हुए वर्व रिन्यूएबल्स के सीईओ और सह-संस्थापक सुव्रत खन्ना ने कहा हर साल पंजाब और हरियाणा में 30 मिलियन टन से अधिक धान का पुआल जलाया जाता है।

वर्व रिन्यूएबल्स की शुरुआत ही परली जलाने की समस्या को खत्म करने के एकमात्र उद्देश्य से हुई थी।

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