शिमला। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने अब इंडियन इंस्टिच्यूट ऑफ मैनेजमेंट नाहन की ओर प्रदेश व केंद्र सरकार का ध्यान खींचा है।
राणा ने कहा कि एमएचआरडी कानूनों का हवाला देकर एनआईटी हमीरपुर के बाद अब आईआईएम नाहन पर भी मनमानी व तानाशाही के आरोप लगे हैं।
राणा ने कहा कि संस्थान में कार्यरत पीडि़त और प्रताडि़त लोगों ने उन्हें बताया है कि संस्थान के मुखिया की मनमानी व तानाशाही के चलते इस संस्थान में श्रम नियमों व कानूनों की घोर अवेहलना हो रही है।
यहां तक कि लॉकडाउन व कर्फ्यू के दौरान भी यहां कार्यरत लोगों को कई-कई घंटे काम करने के लिए दबाव बनाया जाता रहा है जबकि इसकी एवज में इन कर्मचारियों को कोई वित्तिय लाभ नहीं दिया गया है।
राणा ने कहा कि 2015 में खुले राष्ट्रीय स्तर के इस संस्थान में चल रही मनमानी व तानाशाही के कारण करीब 30 लोग नौकरी छोडऩे को विवश रहे हैं जबकि मुख्य प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत 4 लोग भी इसी मनमानी के कारण नौकरी छोड़ चुके हैं।
पहले यह संस्थान आईआईएम लखनऊ द्वारा नियंत्रित था लेकिन 2017 में यहां डायरेक्टर की तैनाती के बाद अब इस संस्थान को डायरेक्टर देख रहे हैं, लेकिन यहां तैनात डायरेक्टर पर भी मनमानी व तानाशाही के आरोप चस्पां हैं।
केंद्र के सालाना करोड़ों के खर्चों से चलने वाले इस संस्थान में भी राजसी प्रशासनिक रुतबा कायम है। यहां संस्थान के मुखिया कड़ी इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा व्यवस्था में बैठते हैं। ऐसे में आम कर्मचारी व आम नागरिक को इन लोगों को मिलना काफी मुश्किलों भरा रहता है।
राणा ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि इन संस्थानों में बढ़ रही बेखौफ मनमानी व तानाशाही को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर प्रयास करें।