शिमला। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने राजभवन से वर्चुअल माध्यम से चैतन्य डीम्ड यूनिवर्सिटी, तेलंगाना का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर उन्होंने चैतन्य विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल करने पर बधाई देते हुए कहा कि वर्ष 2010 के पश्चात् केवल चार संस्थानों को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा यह दर्जा प्रदान किया गया है, जिनमें चैतन्य भी एक है।
उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा प्रदान की जा रही गुणात्मक शिक्षा का पता विद्यार्थियों द्वारा सभी पाठ्यक्रमों के प्रति रूझान तथा परिसर में की गईं नियुक्तियों से चलता है। यह संस्थान परिसर नियुक्तियों के मामले में पूरे भारतवर्ष में 31वें स्थान पर है।
दत्तात्रेय ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 लाखों बुद्धिजीवियों के परामर्श, विभिन्न बैठकों और सेमिनारों के आयोजन और सुझाव प्राप्त करने के पश्चात् बनाई गई है।
उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े तीन दशकों से शिक्षा नीति में बड़े बदलाव नहीं किए गए थे। यह 21वीं सदी के प्रथम शिक्षा नीति है, जिसमें देश के विभिन्न विकासात्मक बिन्दुओं पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह एक शिक्षा संरचना के सभी पहलुओं पर आधारित एक विस्तृत दस्तावेज है जिसमें 21वीं सदी के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों वाली एक नई प्रणाली विकसित करने पर बल दिया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि जिस समय विश्व में लोगों को उच्च शिक्षा की कोई जानकारी नहीं थी, उस समय प्राचीन भारत में तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला व वल्लबी जैसे विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय और आर्यभट्ट, भास्कराचार्य, माधव, चरक, सुश्रुत व पतंजलि जैसे विख्यात विद्वान हुए।
राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के समग्र कार्यान्वयन से हम निश्चित रूप से व्यावसायिक व गैर-व्यावसायिक क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता, देश और विदेश में रोजगार के अवसरों का उपयोग करने के लिए विद्यार्थियों के ज्ञान व कौशल में वृद्धि करेंगे।
उन्होंने कहा कि ‘सभी के लिए शिक्षा’ के मुख्य उद्देश्य को पूरा किया जाएगा। उन्होंने सन्तोष व्यक्त किया कि चैतन्य विश्वविद्यालय पहले से ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में सुझाए गए कार्यक्रमों का कार्यान्वयन कर रहा है।