शिमला। प्रदेश की 13वीं विधानसभा के नवम सत्र के तीसरे दिन की शुरुआत आज बेहद हंगामेदार रही।
सदन के शुरू होते ही विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने नियम 67 के अंतर्गत स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देने के मुख्यमंत्री को कहा।
इस पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने पॉइंट ऑफ आर्डर के तहत कहा कि विपक्ष के सदस्यों को बोलने नहीं दिया गया जबकि मंत्री के लिए सदन को 20 मिनट बढ़ा दिया गया।
उन्होंने कहा कि सदस्यों के लिए सदन के समय को बढ़ाया नहीं गया। उन्होंने कहा कि इस सदन को नीचे से मुख्यमंत्री चला रहे हैं जबकि सदन को ऊपर से अध्यक्ष को चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक उनके सदस्यों को बोलने नहीं दिया जाएगा तब तक सदन नहीं चलने दिया जाएगा।
वहीं सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने संभाला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता की बात उनके दल में कोई नहीं सुनता।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष के नेता उन्हें डिक्टेट करने की कोशिश कर रहे हैं और उंगली करके बात कर रहे हैं जो एक गलत परम्परा है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष को अधिकार है कि किसी भी चर्चा को वाइंड अप कर सकता है।
अध्यक्ष ने कहा कि इस स्थगन प्रस्ताव पर 6 घंटे 25 मिनट के करीब चर्चा हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इस चर्चा को कल शाम तक जारी रखा गया। उन्होंने कहा कि किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय में नेता विपक्ष की सहमति भी ली जाती है।
उन्होंने कहा कि सदन धक्काशाही से नहीं नियमों से चलाया जा रहा है। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि सदन को चलने दें।
वहीं मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि वह विपक्ष के रवैये से हैरान हैं। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक में यह तय हुआ था कि सत्र 5 बजे तक समाप्त करने की कोशिश की जाएगी।
उन्होंने कहा कि जब विपक्ष के सदस्यों ने आग्रह किया तो उन्होंने अपना जवाब आज के लिए रख दिया जबकि उन्हें पिछले कल 3 बजे जवाब देना था।
इसके बाद अध्यक्ष ने जब मुख्यमंत्री को जवाब देने के लिए कहा तो कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करने लगे। वह नारेबाजी करते हुए सदन के वेल में आ गए और जब तक मुख्यमंत्री जवाब देते रहे कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते रहे।