मुख्यमंत्री से उमंग फाउंडेशन ने की कोरोना मृतक को केरोसीन से जलाने की जांच और एसडीएम को पद से हटाने की मांग 

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शिमला। उमंग फाउंडेशन ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक और पत्र लिखकर मांग की है कि कोरोना पीड़ित मृतक को रात के अंधेरे में मिट्टी का तेल डालकर जलाए जाने की अमानवीय घटना की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।

उन्होंने शिमला शहरी की एसडीएम को तुरंत पद से हटाने की मांग की है ताकि जांच निष्पक्ष ढंग से हो सके।

मुख्यमंत्री को भेजे एक और पत्र में उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने कहा कि एसडीएम की देखरेख में हुए इस कांड में गरीब, बेबस हिंदू युवक के शव को जानवरों से भी बदतर ढंग से जलाया जाना अत्यंत शर्मनाक और प्रदेश पर एक धब्बा है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 15 मार्च को जारी गाइडलाइंस की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई।

उन्होंने पत्र में कहा कि आईजीएमसी अस्पताल के शवगृह में पार्थिव शरीर को रात में रखकर सुबह हिंदू धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार किया जा सकता था।

धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता। मृतक के परिजनों को भी अंतिम संस्कार से जानबूझकर दूर कर दिया गया।

केंद्र सरकार की गाइडलाइंस में बिल्कुल स्पष्ट है कि कोरोना पीड़ित मृतक के परिजन अंतिम संस्कार में हिस्सा ले सकते हैं। मृतक लावारिस नहीं था इसलिए उसके परिवार को अंतिम संस्कार करने का कानूनी अधिकार था। उसके बाद उन्हें क्वॉरेंटाइन किया जा सकता था।

उन्होंने पत्र में आरोप लगाया कि एसडीएम ने खुद को मीडिया में हीरो बनाने के लिए यह सब जाल रचा और दूसरी संबंधित एजेंसियों पर दोषारोपण शुरू कर दिया।

किसी प्रशासनिक अधिकारी से इस आपराधिक किस्म के मानवाधिकार उल्लंघन की उम्मीद नहीं की जाती। यदि कोई सरकारी एजेंसी कानून का उल्लंघन कर रही थी तो उसे तुरंत रोकने का दायित्व एसडीएम का था।

अजय श्रीवास्तव का कहना है कि मृतक का अंतिम संस्कार अत्यंत संवेदनशील मामला होता है। इस पर विभिन्न उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुके हैं कि धार्मिक रीति रिवाज से सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार एक मृतक का कानूनी अधिकार होता है।

यहां प्रशासनिक अधिकारी की बहादुरी नहीं बल्कि अपराधिक किस्म की कार्रवाई है। इसलिए समूचे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। निष्पक्ष जांच के हित में एसडीएम को तुरंत पद से हटाया जाए।

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