मुख्यमंत्री ने श्रीमद्भगवद् गीता के आध्यात्मिक ज्ञान भण्डार को संरक्षित करने पर दिया बल

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शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कुरूक्षेत्र में कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा आयोजित 5वें अंतरराष्ट्रीय गीता सेमिनार का शुभारम्भ किया। इस वर्ष आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय सेमिनार का विषय सतत अस्तित्व और श्रीमद्भगवद् गीता दर्शन है।

हरियाणा सरकार द्वारा 17 से 25 दिसम्बर तक अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर यह सेमिनार आयोजित किया जा रहा है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने श्रीमद्भगवद् गीता के आध्यात्मिक ज्ञान के भंडार को संरक्षित करने और बढ़ावा देने पर बल दिया तथा युवा पीढ़ी को श्रीमद्भगवद् गीता की शिक्षाओं के महत्व से अवगत करवाने पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि गीता आध्यात्मिक शिक्षा का भंडार है, जो हमें धर्म के सिद्धांतों के अनुसार जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने कहा कि यह हमें जीवन के व्यवहारिक पहलुओं से भी अवगत कराती है और यह वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि यह हमें कर्म के सिद्धांतों की शिक्षा देती है और परिणामों की अपेक्षा किए बिना हमें कर्तव्य को महत्ता प्रदान करने के लिए प्रेरित करती है।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष आॅनलाइन माध्यम से सेमिनार आयोजित किया जा रहा है और भारत तथा विदेश के विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में लोग वर्चुअली इस कार्यक्रम में जुड़ रहे हैं। उन्होंने इस प्रयास की सराहना की, क्योंकि यह युवा पीढ़ी को गीता के ज्ञान तक पहुंचाने में सक्षम बनाएगा।

उन्होंने कहा कि यद्यपि कोविड-19 ने कई तरह की चुनौतियां खड़ी की हैं, फिर भी इसने तकनीक के माध्यम से परिवारों और लोगों को जोड़ा है। उन्होंने कहा कि इसने विशेष रूप से गांवों के लोगों के पारिवारिक संबंधों को मजबूत किया है, क्योंकि देश के विभिन्न शहरों के साथ-साथ विदेशों से भी बहुत लोग वापिस आ गए हैं।

उन्होंने भगवद्गीता के प्रचार के लिए हरियाणा सरकार को गीता जयंती के आयोजन पर बधाई दी। जो हर वर्ष एक मेगा इवेंट साबित हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर एक पुस्तक और स्मारिका का विमोचन भी किया।

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