शिमला। भू-कानूनों पर प्रदेश सरकार द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी की बैठक आज यहां जल शक्ति एवं राजस्व मन्त्री महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
बैठक के दौरान राजस्व विभाग से सम्बन्धित कानूनों के सरलीकरण के लिए कार्यसूची की मदों पर विस्तृत चर्चा की गई जिसमें तकसीम, निशानदेही, इन्तकाल, दुरूस्ति इन्द्राज से सम्बन्धित न्यायालय मामलों के शीघ्र निपटारे को लेकर कमेटी के सदस्यों ने अपने सुझाव दिए।
महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में लगभग 94902 मामले विभिन्न राजस्व न्यायालयों मे लम्बित पडे़ हैं। इनमें तकसीम के 29313, निशानदेही के 18025, इन्तकाल के 25251, दुरूस्ति इन्द्राज के 2497, अतिक्रमण के 2837 और 16790 अन्य मामले शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के अनुरूप, प्रदेश सरकार ने भूमिहीन एवं गृहहीन परिवारों को रिहायषी मकान के निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा और शहरी क्षेत्रों में दो बिस्वा भूमि देने का प्रावधान किया है।
इसके अतिरिक्त, जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ नियमों के अंतर्गत, नौतोड़ भूमि आबंटन का प्रावधान है, लेकिन इन क्षेत्रों में भी वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधान लागू होने के कारण भूमि का आबंटन नहीं हो पा रहा है। समिति ने इस समस्या पर गहन विचार किया तथा इसके निराकरण के लिए सुझाव दिए।
सदस्यों का कहना था कि तकसीम, निशानदेही, इन्तकाल, दुरूस्ति इन्द्राज आदि के मामलों में समनों की तामील समय पर नहीं होने का कारण बहुत विलम्ब होता है इसलिए समनों की तामील समयबद्ध और कारगर बनाई जाए।
इसके अतिरिक्त, बन्दोबस्त की प्रक्रिया को सरल करने और इसमें आधुनिक उपकरणों की सहायता के इस्तेमाल के सुझाव दिए गए। सदस्यों ने भू-राजस्व के निर्धारण को सरल एवं समयबद्ध बनाने का सुझाव भी दिया।
सदस्यों ने विभाग के ध्यान में लाया कि प्रदेश में ऐसे बहुत से मामले लम्बित हैं जिनमें सरकारी भूमि को नौतोड़ के रूप में पात्र व्यक्तियों को आबंटित किया गया है, लेकिन इसके पट्टे जारी नहीं हुए हैं या इंतकाल लम्बित है।
इस कारण अभी तक मालिकाना हक नहीं मिले हैं तथा उन्हे अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश मुजारियत एवं भू-सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 45, 104 व 118 पर विचार करने के उपरान्त इन्हें व्यावहारिक बनाने के लिए आवश्यक संशोधन का सुझाव दिया।
बैठक में धारा-118 के प्रावधानों को इसके मूल उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इसमें मौजूद कमियों को दूर करने पर विचार किया गया साथ ही इसे प्रदेश के विकास एवं रोजगार सृजन के दृष्टिगत सरल एवं पारदर्शी बनाने पर चर्चा की गई।