नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी और इसके प्रभावों की वजह से स्थिरता और ग्रीन रिकवरी गोल्स, ट्रांसपोर्ट के लिए वैकल्पिक ईधन की मांग पूरे विश्व में बढ़ने वाली है।
भारत का ऑटो एलपीजी सेक्टर इन पह्लुयों से वाकिफ है क्योंकि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें, संभावित इलेक्ट्रिक वाहनों के आने में देरी और वातावरण के प्रति बढ़ती चेतना ने कॉर्बन अलटरनेटिव फ्यूल (वैकल्पिक ईंधन) की मांग को बढ़ा दिया है।
हवाई जहाज के ईधन से लेकर सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों के ईधन तक ग्रीन रिकवरी की मांग दुनिया के कई मुख्य हस्तियों द्वारा की गयी। इनमे यूएन सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुतेर्रेस भी शामिल है। उन्होंने भारत और अन्य देशों से विनती की कि कोयले और दूसरे अन्य कार्बन ईधन से शिफ्ट होकर एक स्थिर इकोनोमिक ग्रोथ की तरफ बढ़ें।
इंडियन ऑटो एलपीजी संगठन के जनरल डायरेक्टर सुयश गुप्ता ने कहा, “कोविड-19 और इसके प्रभावों ने एक ऐसी स्थिति खड़ी कर दी है जहाँ इस अर्थव्यस्था की मंदी से एक स्वच्छ और वैकल्पिक ईधन से ग्रीन रिकवरी में शिफ्ट होने के लिए प्रोत्साहित किया है।
भारत में आर्थिक संकट की वजह से ऑटोमोबाइल निर्माताओं की इलेक्ट्रिक वाहनों के प्लान में देरी होने की संभावना है जबकि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों ने लोगों को अन्य सस्ते और उपयुक्त विकल्पों की ओर देखने के लिए मजबूर किया है।
वातावरण के प्रति जागरूकता से भी इको फ्रेंडली ईधन की मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस तरह की स्थिति ने ऑटो एलपीजी जैसे आसानी से उपलब्ध और इको फ्रेंडली ईधन के लिए लाभदायक माहौल बनाया है।
हम उम्मीद कर रहे हैं कि फायदेमंद पहल के रूप में ऑटो एलपीजी वेरिएंट पर फोकस करने के लिए ओईएम आगे बढ़ेगा।”
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कोविड-19 ने नीति निर्माताओं के साथ-साथ ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री को कार्बन बेस्ड ईधन से हटकर वैकल्पिक ईधन के प्रति शिफ्ट होने की जरुरत पर ध्यान केन्द्रित किया है।
वैकल्पिक ईधन की जरुरत केवल भारत में ही नहीं बढ़ी है बल्कि यह ट्रेंड पूरी दुनिया में देखा जा सकता है। जैसे कि ब्रिटेन में कोविड 19 के कारण नए कार मार्केट में वैकल्पिक ईधनो वाली गाड़ियों ने डीजल से चलने वाली गाड़ियों की संख्या को पार कर लिया है।
इसी तरह, एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार आने वाले पांच वर्षों में वैश्विक ब्यूटेन (एक एलपीजी वैरिएंट) बाजार में $ 13.2 बिलियन की वृद्धि होनी है।
गुप्ता ने आगे कहा, “ऑटो एलपीजी न केवल इको फ्रेंडली है बल्कि यह पेट्रोलियम ईधनो से 40% सस्ता है। इसके अलावा सरकार द्वारा इकोनोमी और बिजेनस को फिर से समृद्धि करने, लोगों द्वारा रेगुलर लाइफ में वापस लौटने पर ट्रेवेल और आवाजाही बढ़ेगी।
इसके लिए लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तुलना में पर्सनल वाहन का इस्तेमाल करेंगे क्योंकि लोग वायरस से बचना चाहेगें और भीडभाड वाले ट्रांसपोर्ट से बचकर यात्रा करना चाहेंगे। सड़कों पर पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियाँ ज्यादा संख्या में होने पर खतरनाक हो सकता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि जलवायु के अनुकूल ऐसी नीति बनायीं जाए जो ऑटो एलपीजी जैसे स्वस्थ और स्वच्छ ईधनो के उपयोग को बढ़ावा दे।”
जब से अमेरिकी शेल खोज और देश सबसे बड़ा एलपीजी निर्यातक बन रहा है, तब से आपूर्ति पक्ष की सुरक्षा और स्थिर मूल्य निर्धारण व्यवस्था पर चिंताओ पर विराम लग गया है।
आज पहले की तुलना बहुत ज्यादा एलपीजी उपलब्ध है और यह कस्टमर के लिए बहुत सस्ता भी है। पिछले 10 सालों में वातावरण के प्रति बढ़ती चेतना ने ऑटो एलपीजी की खपत को 40% बढ़ा दिया है। यह आंकड़ा कोविड के बाद बढ़ता ही जायेगा।