किसान बिल 20-20 पारित करके बीजेपी ने किया साबित कि बीजेपी किसानों की नहीं प्राइवेट कंपनियों की सरकार: अभिषेक

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हमीरपुर। प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने कहा है कि आखिर एक बार फिर बहुमत का दुरुपयोग करते हुए बीजेपी सरकार ने साबित कर दिया है कि वह किसी वर्ग की भी हितैषी नहीं है।

कृषि से संबंधित बिल को लोकसभा में पारित करके सरकार ने महंगाई व महामारी से जूझ रहे किसानों को एक और मार मारी है। जिसको लेकर अब विपक्षी ही नहीं बीजेपी के सहयोगी भी बिलख उठे हैं।

पंजाब से सांसद हरसिमरत कौर का इस्तीफा इसी अति व अत्याचार का प्रमाण है। अभिषेक ने कहा कि इस बिल में एक भी क्लॉज ऐसी नहीं है, जिससे किसानों को संरक्षण मिल पाए। सारे क्लॉज कॉर्पोरेट को लाभ देने व किसानों को एक्सपलॉयड करने की पैरवी करते हैं।

यह बिल ऐसे समय में लाया गया है, जब किसानों को सरकार की सहायता, संरक्षण व सुरक्षा की बेहद जरूरत थी। लेकिन सरकार संकट की इस घड़ी में अडानी, अम्बानी व अन्य दो-चार अमीरों के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है।

यह अलग बात है कि सरकार के कुछ भोंपू इसे फिर एैतिहासिक बिल बताकर जनता की आंखों में धूल झोंकने का असफल प्रयास कर रहे हैं। झूठ से शुरू हुई बीजेपी की सत्ता की सियासत अब अति और अत्याचार पर जाकर रुकने लगी है।

अकाली दल जो कि बीजेपी का सबसे पुराना सियासी सहयोगी है। इस ऑर्डिनेंस के आने के बाद खुद को असहाय व बेचैन महसूस करता हुआ एक तरह से सरकार से अलग हो चुका है। देश के किसान इस बिल के खिलाफ सड़कों पर हैं, लेकिन सरकार संसद में बहुमत का दुरूपयोग करते हुए किसानों को सत्ता के जोर पर कुचल रही है।

अभिषेक ने कहा कि इस बिल के आने के बाद देश का किसान, खेत मजदूर व छोटा दुकानदार तबाह हो जाएंगे। देश के चंद सरमायदारों को लाभ देने के लिए यह बिल बहुमत के बाहुबली की तरह पारित किया गया है जिसमें देश के अन्नदाता को बेरहम बीजेपी ने तबाही व बर्बादी की कगार पर धकेला है।

देश के करीब 62 करोड़ किसान-मजदूर, 250 से अधिक किसान संगठन इस बिल के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं, लेकिन अताताई सरकार इन सबके एतराज को दरकिनार करते हुए सड़कों पर किसानों को लाठियों से पिटवा रही है।

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