शिमला। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की पांचवीं समीक्षा बैठक शुक्रवार को राज्य सचिवालय में आयोजित हुई। विशेष सचिव कृषि एवं राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में प्राकृतिक खेती से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई।
बैठक में कृषि विभाग के प्रदेशभर में विभिन्न फार्म् पर प्राकृतिक खेती के प्रदर्शनी स्थल लगाने पर चर्चा की गई। बेहतर उत्पादन के लिए किसानों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार उच्च गुणवत्ता वाले बीज मुहैआ करवाने एवं प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के प्रमाणीकरण एवं प्राकृतिक कृषि उत्पाद के विपणन पर भी चर्चा हुई।
बैठक के दौरान राज्य परियोजना निदेशक, श्री राकेश कंवर ने बताया कि किसानों के प्रमाणीकरण की दिशा में काम चल रहा है और विभाग इसके लिए एक प्रणाली विकसित करने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है। प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को प्रमाणीकृत करने के साथ उन्हें विभाग द्वारा पहचान पत्र भी दिए जाएंगे।
इस बैठक में 6 जिलों- कुल्लू, लाहौल-स्पिति, मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर और चंबा के परियोजना निदेशक (आतमा) ने पिछले 3 महीने में जिला में योजना की प्रगति के बारे में जानकारी दी और खरीफ फसल के दौरान हुई पैदावार का ब्यौरा दिया। बैठक में रबी सीजन के लिए विभिन्न फसलीय ढांचों के बारे में भी चर्चा हुई।
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती का तेजी से विस्तार हो रहा है। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 80,400 किसान 4,362 हैक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती से मिले फल-सब्जी उत्पादन के सकारात्मक नतीजे किसानों को इस विधि के प्रति आकर्षित कर रहे हैं।