हमीरपुर। प्रदेश कांग्रेस नेता अभिषेक राणा से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जय जवान-जय किसान का नारा देने वाला यह देश आज भाजपा सरकार के कुछ निरर्थक कानूनों की कटपुतली बन कर रह गया है।
एक तरफ जहां सीमा पर शहीद हो रहे जवान व उनके परिवारों को भाजपा सरकार दरकिनार कर रही है वहीं जवानों की पेंशन पर भी कटौती को लेकर केंद्र सरकार स्थिति को स्पष्ट नहीं कर पा रही जिसकी वजह से भारतीय सेना के जवानों का भविष्य अंधकार में होता नजर आ रहा है।
दूसरी और अपने भविष्य व बच्चों की भूख के लिए लड़ते किसान आज यदि शांतिपूर्ण ढंग से अपने हकों के लिए आंदोलन करना चाहते हैं तो उन्हें भी सरकार रोक रही है व उन पर अत्याचार कर रही है जो कि लोकतंत्र के सीधा खिलाफ है। क्योंकि इस देश में हर किसी को अपनी बात कहने का और मांग करने का पूरा हक है।
अभिषेक ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने आज तक ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू नहीं की। ‘नॉन फंक्शनल यूटिलिटी बेनेफिट स्कीम’ खत्म की, सियाचिन और लद्दाख में सैनिकों के लिए जूते, बुलेटप्रूफ जैकेट की खरीद में भयंकर देरी की।
साथ ही, डिसेबिलिटी पेंशन पाने वाले सेना के अधिकारियों तथा सैनिकों पर टैक्स भी लगा दिया। केंद्र की मोदी सरकार सेना के अधिकारियों के साथ धोखा कर रही है। सैन्य अफसरों के हितों पर कुठाराघात कर रही है। जवानों की आधी पेंशन कटौती कर सेना का मनोबल गिरा रही है।
राणा का कहना है की पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए रेत से भरे ट्रकों और कंटीले तारों में लिपटे बैरिकेड्स का भी इस्तेमाल किया है।
किसानों पर दिल्ली ना जाने का दबाव बनाया जा रहा है और उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं इस ठिठुरन भरी ठंड में किसानों के ऊपर पानी की बौछारें की जा रही हैं जो कि न्याय संगत नहीं है।
सड़क पर खोदे गए गड्ढे बीजेपी शासित हरियाणा की पुलिस की उस मंशा को दिखाता है कि किसी भी सूरत में किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोक दिया जाये।
पंजाब-हरियाणा समेत छह राज्यों को करीब 500 संगठनों के किसान तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और केंद्र सरकार से उसके प्रावधानों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।