सरकार व सांसद की चुप्पी कर रही है सत्ता संरक्षण का इशारा
हमीरपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कहा है कि सत्ता में आने से पहले बात-बात पर भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने वाली बीजेपी एनआईटी हमीरपुर के कथित भ्रष्टाचार पर आंखें क्यों मूंदे हुए है।
राणा ने कहा है कि हैरानी यह है कि एनआईटी डायरेक्टर अपनी मनमानियों के लिए निरंतर चर्चा में रहते हुए खुद को सिस्टम से बड़ा मानने लगे हैं। उनके इस बेखौफ व बेलगाम व्यवहार का सबब क्या है। यह छात्र भी जानना चाहते हैं और जनता भी जानना चाहती है।
उन्होंने कहा कि कहीं यह मामला सत्ता संरक्षित भ्रष्टाचार को तो नहीं है? जिसमें ऊपर से नीचे तक सब मिले हुए हैं। राणा ने कहा कि एनआईटी हमीरपुर में मामला कथित भर्ती घोटाले का हो या हिमाचली नागरिकों के हितों से खिलवाड़ का हो या कथित तौर पर अपनी भर्ती की गई जमात के कक्षों को करोड़ों के खर्च से सजाने की बात हो।
एनआईटी हमीरपुर के डायरेक्टर की बेखौफ कारगुजारी लगातार चर्चा शक और संदेह के घेरे में आती जा रही है। एक ही समुदाय के कई लोगों की भर्तियां व हिमाचली लोगों के लिए अलग कायदे-कानून एनआईटी के डायरेक्टर की कारगुजारी को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
जिनके अधीन नए भर्ती लोगों का वाइवा हुआ है, उन्हीं को भर्ती कमेटी का एक्सपर्ट बनाया गया है। यह ऐसे सवाल हैं जिनकी जांच अब सीबीआई से होनी जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऐसे में कथित भ्रष्टाचार के शक और भी पुख्ता हो जाते हैं जब एनआईटी हमीरपुर के सर्वोच्च पद पर बैठे बीओजी के चेयरमैन भी संस्थान की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं।
राणा ने कहा कि कोई भी संस्था देश के कानून से बड़ी नहीं हो सकती है, लेकिन एनआईटी हमीरपुर में तो हर नियम ही ताक पर रखा गया है जिसकी सूचनाएं लगातार छात्रों, पूर्व छात्रों व पूर्व प्रोफेसरों द्वारा एमएचआरडी मंत्रालय को भेजी जा रही हैं।
एनआईटी की रैंकिंग के दिनोंदिन गिरते स्तर के कारण करोड़ों रुपए सालाना के खर्च से चलने वाला यह राष्ट्र स्तरीय संस्थान कथित भ्रष्टाचार के अड्डे के तौर पर चर्चित हो रहा है, लेकिन सरकार की नींद नहीं टूट रही है।