अपडेट नहीं रहते सांसद, फिर नाकामियों का दूसरों पर फोड़ते हैं ठीकरा : राणा

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सुजानपुर। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर पर हमला बोलते हुए प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि अनुराग ठाकुर कभी किसी मुद्दे पर अपडेट नहीं रहते।

नाकामियां अपनी होती हैं और दूसरों को कोसते फिरते हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालय पर भी अपनी जान बचाने के लिए राजनीति कर रहे हैं।

अनुराग बताएं कि वर्ष 2007 में तत्कालीन मनमोहन सरकार में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्वीकृत हुआ था और अनुराग अप्रैल, 2008 में पहली बार सांसद बने तो उनका इस विश्वविद्यालय के लिए क्या योगदान रहा और कैसे।

राजेंद्र राणा ने कहा कि अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए पहले अनुराग ठाकुर कांग्रेस सरकारों को कोसते रहते थे और अब अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं।

कहीं ऐसा तो नहीं कि अब कांग्रेस को कोसते-कोसते यह भी अपडेट नहीं रहा कि हिमाचल में उनकी ही सरकार है। ऐसा लगता है कि अनुराग के पांव जमीन पर नहीं टिकते।

विधायक ने कहा कि कोई भी टिप्पणी करने से पहले केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री को केंद्रीय विश्वविद्यालय पर केंद्रीय वन मंत्रालय से सलाह-मशविरा करना चाहिए था कि जमीन का पेंच कहां फंसा है और उनकी ओर से क्या कंडीशन लगाई गई है।

अब विद्यार्थी परिषद द्वारा घेराव की धमकी से छटपटाए अनुराग अपडेट होने की बजाय इसके निर्माण में देरी का ठीकरा भी दूसरों पर फोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनुराग ठाकुर ने शालीनता की सारी हदें पार कर दी हैं।

पहले हिमाचल के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह पर टिप्पणियां करते रहते थे और अब अपनी नाकामियों की टीस अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री को खुले मंच से जलील कर निकाल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री किसी भी पार्टी का है, लेकिन मुख्यमंत्री पद की गरिमा का हर व्यक्ति को सम्मान करना चाहिए।

राणा ने कहा कि वर्ष 2008 से अनुराग ठाकुर का एक भी प्रोजैक्ट सिरे नहीं चढ़ा है। रेल हिमाचल की पहाड़ियों में हांफ चुकी है।

शेष केंद्रीय प्रोजेक्टों को भी अनुराग अपना बताते फिरते हैं, जिनमें उनका कोई योगदान नहीं है, लेकिन सभी प्रोजैक्ट फिलहाल आगे बढ़ते ही नहीं है।

अनुराग ठाकुर ने बस एक ही बात सीखी है कि हिमाचल की सैर करने आए तो किसी न किसी को कोस कर रूखस्त हो जाएं।

उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं तो अब बड़े प्रोजेक्टों को धरातल पर उतारने में कहां दिक्कत आ रही है। क्यों प्रदेश का विकास ठप्प किया है।

आपसी लड़ाई से प्रदेश की जनता को परेशान क्यों किया जा रहा है। इन सवालों के जवाब अब जनता भी पूछ रही है कि डबल इंजन क्यों अलग-थलग पड़ गया है।

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