शिमला, 17 मई, 2020। अपने परिवार व समुदाय को करोना संक्रमण से बचाने के लिए राज्य के बाहर से आने वाले लोग क्वारंटाईन के महत्व को समझने लगे हैं। यही कारण है कि वे स्वयं को क्वारंटाईन करने से गुरेज नहीं कर रहे तथा राज्य सरकार से इस फैंसले का स्वागत भी कर रहे हैं।
जिला मण्डी के परखरैर पंचायत के घिंडी गाॅंव की सोमा देवी का कहना है कि ‘‘मैने अपने बच्चों के लिए गांव के बाहर ही एक खाली मकान किराए पर ले लिया था ताकि करोना की आशंका भी हमारे गांव तक न पहुंचे।’’
सोमा देवी के शब्दों में अपने परिवार की सुरक्षा व समाज के प्रति जिम्मेदारी के एहसास की झलक थी। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी हेमानी चंडीगढ़ में एक कंपनी में नौकरी करती है।
उसके साथ गांव के ही रिश्तेदारों के दो और बच्चे भी चंडीगढ़ में एक कम्पनी में काम कर रहें है। वे तीनों हिमाचल सरकार की मदद से एच0आर0टी0सी0 बस सेवा से 4 मई को चंडीगढ़ से गांव लौटे हैं। सोमा देवी बताती हैं कि करोना वायरस के खतरे के चलते क्वारंटाईन जरूरी था।
ऐसे में बच्चों के गांव में प्रवेश से पहले ही गांव से बाहर 14 दिन का क्वारंटाईन का इंतजाम करने का फैसला लिया।
वहीं मुरहाग पंचायत के नरेश धनश्याम और उनके दोस्त ने अपने घर व गांव वालों की सुरक्षा के लिए घर जाने की बजाए एहतियात के रूप में पंचायत के संस्थागत क्वारंटाईन को स्वेच्छा से तरजीह दी ।
मुरहाग पंचायत के औहण गांव के चमन ठाकुर बताते हैं कि उन्होंने 6 मई को अपने भतीजों को गुडगांव से लाने को टैक्सी भेजी थी। उनके घर पहुंचने से पहले ही पंचायत और उपमंडल प्रशासन को सूचना देकर उनकी संस्थागत क्वारंटाईन मे रहने की इच्छा के बारे में भी अवगत करवा दिया था।
प्रशासन और पंचायत प्रतिनिधियों ने पंचायत के गैस्ट हाउस में उनके रूकने की अच्छी व्यवस्था कर दी। चमन ठाकुर का कहना है कि गांव से दूर रह कर उनके भतीजों ने संस्थागत क्वारंटाईन में रहने का विकल्प चुना ताकि पूरे परिवार को क्वारंटाईन में न रहना पड़े और पूरा समुदाय भी करोना संक्रमण के खतरे से बचा रहे।
इसी प्रकार जिला कुल्लू के उपमण्डल आनी के घोरला गांव के पवन श्याम ने राजस्थान से लौटने पर घर से करीब 16 किलोमीटर दूर क्वारंटाईन में रहने का निर्णय लेकर मिसाल पेश की है ।
वह राजस्थान में आलफ्रेश कंपनी में काम करते है। 2 मई को घर लौटने के बाद वह घर नहीं गए, परिवार वालों से दूर से ही मिले। काफी समय बाद घर लौटने के कारण बेटी को गले लगाने का मन था लेकिन परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सिधे क्वारंटीन के लिए चले गए। स्थानीय लोग पवन श्याम द्वारा खुद को इस तरह क्वारंटीन करने के फैसले की संराहना कर रहे हैं।
जिलाधीश मण्डी ऋग्वेद ठाकुर का कहना है कि मण्डी जिला में कई परिवारों के होम क्वारंटाईन के बहुत अच्छे उदाहरण सामने आए हैं। ऐसे अनेक परिवार हैं जो अन्यों के लिए मिसाल बने हैं।
कइयों ने स्वेच्छा से संस्थागत क्वारंटाईन का विकल्प चुना है तो किसी ने क्वारंटाईन रहने को गांव से बाहर कोई व्यवस्था की है। इस तरह अपने घर परिवार व समुदाय समाज की सुरक्षा के लिए दूरी बना कर रखने के उनके प्रयास सरहानीय और अन्यों के प्रेरणादायी हैं। प्रशासन ने जिला में 500 के करीब संस्थागत क्वारंटाइन केंद्र बनाए हैं। इनमें 2200 से अधिक लोगों के रहने की सुविधा है।
उपायुक्त कुल्लू डा ऋचा वर्मा ने कहा कि जिला में क्वारंटाइन केन्द्रों के संचालन में पंचायती राज संस्थानों का भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है।
क्वारंटाईन केन्द्रों में लोगों की सुबिधाओं का ध्यान रखा जा रहा है तथा लोग क्वारंटाईन में रहने के लिए सहयोग कर रहें है।
उन्होंने बताया जिला मे लगभग 270 संथागत क्वारंटाईन केन्द्र बनाए गए है जिनमें करीब 1400 लोगों के रहने की सुविधा है।