शिमला। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन कार्यरत समेकित बाल विकास परियोजना को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शिशुओं, किशोरियों, महिलाओं एवं धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने का आधार माना जाता है।
समेकित बाल विकास परियोजना में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं तथा इनसे जुड़े स्वयं सहायता समूह इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
किन्तु कोविड-19 के संक्रमण काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की अग्रिम कोरोना योद्धा की भूमिका ने सभी के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
अपने कार्य के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकओं तथा इनसे जुड़े स्वयं सहायता समूहों ने सोलन जिला की सभी 211 ग्राम पंचायतों में न केवल जन-जन को कोरोना वायरस संक्रमण के विषय में जागरूक किया अपितु प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से आरम्भ किए गए महत्वाकांक्षी एक्टिव केस फाइडिंग अभियान में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
कोविड-19 संक्रमण के विषय में लोगों को जागरूक बनाने तथा जिला के प्रत्येक आवास में पहुंचकर लोगों से इस विषय से जानकारी एकत्र करने के लिए कार्यान्वित किए गए एक्टिव केस फाइडिंग अभियान में 590 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं ने कार्य किया।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं और इनसे जुड़े स्वयं सहायता समूहों ने कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने, 2 व्यक्तियों के मध्य कम से कम 2 गज की दूरी बनाने और बार-बार अपने हाथ साबुन से धोने अथा अल्कोहल युक्त सेनिटाईजर से स्वच्छ करने की दिशा में प्रेरित भी किया।
समेकत बाल विकास परियोजना से जुड़े इन सभी अग्रिम पंक्ति कोरोना योद्धाओं की सक्रियता का अनुमान इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि इन्होंने अब तक सोलन जिला में लोगों के प्रयोग के लिए 1 लाख 25 हजार कपड़े से बने मास्क तैयार किए हैं। यह सभी मास्क लोगों में वितरित भी कर दिए गए हैं।
जिला प्रशासन ने जहां यह मास्क तैयार करने के लिए कपड़ा उपलब्ध करवाया वहीं जिला की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं एवं स्वयं सहायता समूहों ने अपने घर पर स्वयं भी मास्क तैयार किए।
प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डाॅ राजीव सैजल की अगुवाई में 60 से अधिक ग्राम पंचायतों में लगभग 25 हजार से अधिक मास्क वितरित किए गए। जिला की सभी ग्राम पंचायतों में घर पर मास्क बनाने की विधि एवं उचित प्रकार से मास्क पहनने का तरीका भी व्यवहारिक रूप से बताया गया।
लाॅकडाउन अवधि में गत 03 माह में जिला के सभी आंगनबाड़ी केन्द्र कार्यरत रहे और लाभार्थियों को उनके आवास पर पोषाहार उपलब्ध करवाया गया। इस अवधि में 3 वर्ष तक की आयु के लगभग 18700, 3 से 6 वर्ष तक की आयु के 7700 तथा 7800 गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को पोषाहार उपलब्ध करवाया गया।
कोविड-19 के कारण प्रदेश सरकार के निर्देश पर जिला में कार्यरत पांचों समेकित बाल विकास परियोजना अधिकारियों को घरेलू हिंसा के मामलों में लोगों को परामर्श प्रदान करने एवं आवश्यकता पड़ने पर पुलिस की सहायता से मामला सुलझाने अथवा पंजीकृत करने के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया। अधिक से अधिक लोगों की इन अधिकारियों तक पहुंच बनाने के लिए इनके मोबाइल व्हट्सऐप नम्बर प्रचारित किए गए।
समेकित बाल विकास परियोजना के इन प्रयासों से जिलावासी वृहद स्तर पर लाभान्वित हुए हैं। प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में लोग कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा सुझाए गए उपायों की महता को समझ रहे हैं।
इन उपायों के पालन में निश्चित रूप से जिला में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं एवं इनसे सम्बद्ध स्वयं सहायता समूहों की भूमिका सराहनीय रही है।