हमीरपुर। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने विपक्ष की सलाह और सुझावों पर फिर कुपित हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर तंज कसते हुए कहा है कि अगर विपक्ष को कोरोना से निपटने का वर्षों का अनुभव नहीं है तो सत्ता पक्ष भी कोरोना से निपटने में सक्षम नहीं माना जा सकता है।
राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भूल रहे हैं कि प्रदेश के आम आदमी की आवाज को उठाने का संवैधानिक अधिकार कांग्रेस को प्रदेश की जनता ने दिया है और उसी के अनुरूप कोरोना काल में लगातार बिगड़ती व्यवस्था की अव्यवस्था को लेकर अगर विपक्ष जनता की आवाज को लगातार उठा रहा है तो इसमें गलत क्या है और अनुभव की बात कैसे आ रही है?
राणा ने कहा कि यह अब किसी से छुपा नहीं है कि सरकार ने चुने हुए विधायकों के संस्थान को लगातार कमजोर करने का प्रयास किया है। कोरोना के बहाने विधायक निधी को सीज किया है, जिस कारण से ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे-छोटे विकास कार्य पूरी तरह ठप हो कर रह गए हैं।
रही महामारी से बचाव और नियंत्रण की बात तो इसमें भी सरकार भले ही अपने मुंह मियां मिट्ठू बने लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सरकार छोटे से प्रदेश की छोटी सी आबादी में महामारी के बचाव पर पूरी तरह फेल और फ्लॉप हुई है।
महामारी जिन प्रदेशों की बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करते हुए कोरोना बचाव की कारगुजारी पर खुद को सही ठहरा रहे हैं, तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उन राज्यों की आबादी और क्षेत्रफल पर भी नजर डाल लें तो उन्हें हकीकत का अंदाजा हो जाएगा।
अगर अन्य राज्यों से ही तुलना करनी है तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर प्रदेश की जनता को बताए कि उन्हीं की पार्टी की शासित हरियाणा में मनरेगा श्रमिकों को 304 रुपए की दिहाड़ी कैसे मिल रही है, जबकि प्रदेश के श्रमिकों को मनरेगा में 198 रुपए दिहाड़ी दी जा रही है।
नई पेंशन योजना व आउटसोर्स दिहाड़ीदारों के मुद्दे पर सरकार क्यों खामोश है। सत्ता सुख के लिए जनता को छलने के लिए बड़े-बड़े ब्यान देना और बात है जबकि जमीनी स्तर पर महामारी, मंहगाई व बेरोजगारी पर लोगों को राहत देना बड़ी बात है।
भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई बीजेपी कोरोना काल में भी भ्रष्टाचार के कारण सुर्खियों में रही है। सरकार के 3 वर्ष के कार्यकाल में 50 फीसदी किराया बढ़ाया गया है।
बेरोजगारी व मंहगाई से हाल-बेहाल जनता पर सरकार लगातार अनावश्यक बोझ डाल रही है। राणा ने चुटकी लेते हुए कहा है कि जिस डबल इंजन का राग सत्तासीन होने से पहले बीजेपी लगातार अलापती थी, वह डबल इंजन अब शायद उल्टी दिशा में जुड़कर केंद्र और राज्य को आपस में ही खींच रही है।
राणा ने कहा कि 3629 करोड़ के घाटे में चल रहे 11 बोर्डों व निगमों का बोझ तो सरकार खूब उठा रही है, जबकि दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे-छोटे विकास कार्यों को रोकने के लिए विधायक निधी को फ्रीज कर चुकी है।