एनआईटी हमीरपुर पर मानव संसाधन मंत्रालय के फैसले का राजिंद्र राणा ने किया स्वागत

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हमीरपुर। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने एनआईटी हमीरपुर के डायरेक्टर की फाइनेंशियल व एडमिनीस्ट्रेटिव पॉवर निरस्त करने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने मानव संसाधन मंत्रालय का आभार प्रकट करते हुए फैसले की सराहना की है।

राणा ने कहा कि देर से ही सही, लेकिन एनआईटी हमीरपुर में बेखौफ चले भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए सरकार ने सही कदम उठाया है। राणा ने कहा कि वह अक्तूबर 2019 से इस मामले की पैरवी में लगातार करते आ रहे हैं।

इसी बीच उन्होंने एनआईटी हमीरपुर की रैंकिंग गिरने के सबब व कथित भर्ती भ्रष्टाचार के आरोपों की फेहरिस्त पीएमओ कार्यालय से लेकर मानव संसाधन मंत्रालय को लगातार भेजी है।

राणा ने कहा कि उन्हें संतोष इस बात का है कि आखिर देर से ही सही कथित भ्रष्टाचार के मामले में सरकार की नींद खुली तो सही? राणा ने कहा कि अब जब सरकार एनआईटी हमीरपुर के कथित भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर हुई है तो इस मामले की जांच सीबीआई से होनी जरूरी है और अगर यह जांच सीबीआई से होती है तो वह निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि प्रदेश के इतिहास में यह सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का मामला उजागर होगा।

राणा ने कहा कि हिमाचली हितों से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे उस अधिकारी की हैसियत व पहुंच कितनी भी बड़ी क्यों न हो।

उन्होंने कहा कि एनआईटी हमीरपुर में तानाशाह बने डायरेक्टर की मनमानियों व भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि एनआईटी हमीरपुर में नेपोटिज्म के आधार पर हुई भर्तियों की सूची देने से वह लगातार इन्कार करते रहे।

यहां तक कि कई मर्तबा वह अपने आप को पॉलिटिक्ल सिस्टम से ऊपर बताकर अपनी पॉवर का मिसयूज भी करते रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस मामले की जांच अब सीबीआई से करवाकर सरकार भ्रष्टाचार के मामले में अपनी जीरो टॉलरेंस का सबूत दे।

राणा ने कहा कि लंबे समय से चुप रहने के बाद केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री व सांसद अनुराग ठाकुर ने एमएचआरडी से इस मामले पर बात करने की बात कही है। वह उनकी इस पहल का भी स्वागत करते हैं।

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